भारत को ऋषि मुनियों का देश कहा जाता है यहां पर आपको प्राचीन समय से आधुनिक समय तक अनेक प्रकार के साधु देखने को मिलेंगे।
बहुत से ऐसे साधु महात्मा पाए जाते हैं जो कि अपने आप को आजीवन अविवाहित रखते हैं और अपने ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
साथ ही साथ यहां पर हमें कुछ ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं जो साधु महात्माओं के नाम को कलंकित करते हैं जैसे कि आसाराम बापू और राम रहीम।
क्या साधु बनने पर इंसान की सभी इच्छाएं समाप्त हो जाती है यदि नहीं तो इसे कैसे किया जा सकता है?
जब कोई इंसान साधु बनता है या फिर वह किसी ज्ञान की साधना में लग जाता है तो उस समय वह अपना मन सभी कामवासना उसे हटाकर केवल अध्यात्म में लगा देता है। जिस प्रकार से वैज्ञानिक अपने सभी सुख दुख को भूलकर केवल नई तकनीक की खोज करने में और रिसर्च करने में अपना जीवन लगा देते हैं ठीक वैसे ही साधु लोग भी ईश्वर कीRead more
जब कोई इंसान साधु बनता है या फिर वह किसी ज्ञान की साधना में लग जाता है तो उस समय वह अपना मन सभी कामवासना उसे हटाकर केवल अध्यात्म में लगा देता है।
जिस प्रकार से वैज्ञानिक अपने सभी सुख दुख को भूलकर केवल नई तकनीक की खोज करने में और रिसर्च करने में अपना जीवन लगा देते हैं ठीक वैसे ही साधु लोग भी ईश्वर की प्राप्ति के लिए अपने जीवन कुर्बान कर देते हैं।
क्या साधु बनने पर इंसान की सभी काम बाद में समाप्त हो जाती है
साधु दो प्रकार के होते हैं एक तो वह साधु जो अपने मन से अध्यात्म की ओर चलता है तथा एक बहस साधु जो किसी पारिवारिक प्रथा को आगे बढ़ाने के लिए या फिर किसी दबाव में आकर साधु बनता है।
जो व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी सभी इच्छाओं को मारकर ईश्वर की खोज में निकलते हैं सच्चे साधु माने जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार की कोई वासना नहीं सताती है।
यह लोग क्षणिक आनंद के लिए परमानंद को नहीं बोलते और उसी दिशा में लगातार कार्य करते रहते हैं साथ ही साथ यह लोग सात्विक भोजन का इस्तेमाल करते हैं जो कि मनुष्य को और द्वार की ओर ले जाता है।
मनुष्य की एनर्जी जो निम्न चक्र से प्रभावित होती है साधु से ऊर्ध्वाधर की ओर ले जाते हैं और बहन मोक्ष की प्राप्ति में लग जाते हैं।
परंतु जो लोग अपने परिवार की पंडिताई प्रथा को आगे बढ़ाते हैं तथा अनेक रूढ़िवादी कार्य को करते हैं इस प्रकार से अपने इच्छाओं को नहीं मार सकते क्योंकि वह कहीं न कहीं किसी दबाव में आकर ही साधु को अपनाते हैं।