झार वीर गोगा जी की अदभुत
नमस्कार दोस्तों आज हम आए हैं आपके लिए एक बहुत ही रोचक और बेहद सच्ची घटना पर आधारित एक कहानी जो आधारित है भगवान श्री जाहरवीर गोगा पर और जाहरवीर गोगा का नाम पूरे भारत में सब जानते हैं जिन्हें नीले घोड़े वाले बाबा भी कहा जाता है उनकी एक ऐसी सच्ची कथा जिसे सुनकर आप कहेंगे काश जाहरवीर बाबा हमें भी दर्शन दे और साथ ही यह भी सोचेंगे कि हम ऐसा काम ना करें जिसके लिए हमें कोई बहुत बड़ी सजा भुगतनी पड़े
तो चलते हैं दोस्तों अब चलते हैं अपनी कहानी की तरफ और आगे बढ़ाते हुए आपको बताते हैं बात 1992 की है
जिला हापुड़ के एक गांव की है जहां पर एक घर पर बहुत बड़ा कहर टूटा और उस कहर का कारण उस घर का मुखिया ही था आपको बताते हैं
उस गांव में एक परिवार था और उस परिवार के मुखिया का नाम राजेंद्र था, राजेंद्र एक बहुत ही जिद्दी किस्म का व्यक्ति था और वह अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था वह जाहरवीर गोगा का बहुत बड़ा भक्त था और जाहरवीर बाबा की कृपा से उसके पास किसी चीज की कमी नहीं थी पूरे गांव में राजेंद्र सिंह भी जमीदारों में गिना जाता था उसके पास भी काफी जमीन थी उसके दो बेटे थे उनमें से एक बेटा बहुत बड़ा था और एक बेटा काफी छोटा था आज उसके बेटे की नौकरी लगी थी उसका बेटा नौकरी पर जाने के लिए तैयार हो रहा था और राजेंद्र सिंह अपने बेटे को आशीर्वाद देकर भेजने जा रहे थे बड़ा बेटा सुरेंद्र अपने माता पिता का आशीर्वाद लेकर और भगवान श्री जाहरवीर गोगा के चरणों में अपना सिर झुका कर नौकरी के लिए निकल रहा था
तभी राजेंद्र सिंह के घर के बाहर कुछ गांव वाले आ गए और उन्होंने राजेंद्र सिंह को आवाज लगाई गांव वालों की आवाज सुनकर राजेंद्र सिंह बाहर आया और पूछा बताइए क्या समस्या है गांव वाले ने कहा कि हमें एक जाहरवीर बाबा का मंदिर बनवाना है राजेंद्र सिंह ने कहा ठीक है तो बताइए मुझे क्या करना है गांव वाले ने कुछ चंदा मांगा और राजेंद्र सिंह ने उनसे कहा कि मैं चंदा कल दे दूंगा गांव वालों ने कहा ठीक है हम चंदा लेने कल आपके पास आते हैं और जब गाँव वाले कल चंदा मांगने आए तो राजेंद्र सिंह ने उन्हें 2000 रुपए दिए और राजेंद्र सिंह 2000 रुपए देने के बाद खेत में चला गया और उसका लड़का जोब पर चला गया ,
राजेंद्र सिंह अपने खेत पर चला गया खेत जाने के बाद राजेंद्र सिंह को एक आदमी मिला उसने राजेंद्र सिंह से पूछा भैया क्या तुमने चंदा दिया है. राजेंद्र सिंह ने कहा हां मैंने चंदा दिया राजेंद्र खेती करने में लग गया परंतु किसी भी गांव वाले को यह नहीं पता था की राजेंद्र सिंह ऐसा क्या करता है जो उस पर इतनी दौलत है क्योंकि और भी जमीदार थे परंतु उनकी हालत ठीक नहीं थी इसलिए सभी के मन में सवाल उठता था कि राजेंद्र सिंह ऐसा क्या करता है जो उन जमीदारों में सबसे ज्यादा पैसे वाला है
अब गांव वालों का चंदा पूर्ण हो चुका था और उन्होंने जाहरवीर बाबा का मंदिर बनवाना शुरू कर दिया जाहरवीर बाबा का मंदिर बनते बनते 1 साल लग गया 1 साल में मंदिर पूरा हो गया और अब मंदिर का दरवाजा लगाना था सभी ने एक बढ़ई को पकड़ा उसको एक चित्र कारिता के साथ दरवाजा बनाने के लिए कहा,
बढ़ई ठीक है मैं दरवाजा बना दूंगा जब वो दरवाजा बनाने लगा ऐसा माना कि उस पर जाहरवीर बाबा की कृपा हो गई और उसने ऐसे दरवाजा बनाया जो आज तक किसी काम वाले ने नहीं देखा था दरवाजा पूरा हो गया दरवाजे को मंदिर पर लगा दिया और बड़ी धूमधाम से जाहरवीर बाबा की पूजा करके उनके मंदिर का उद्घाटन और अभिषेक किया गया और सभी पर वहां जाहरवीर बाबा की कृपा बरसने लगी और गांव में खुशहाली और संपन्नता आ गई लोग बड़े खुश थे ,
इधर दूसरी तरफ राजेंद्र सिंह जी अपना मकान सही से बनाने लगा मकान बनते बनते तकरीबन 1 साल हो गए मकान पर दरवाजा लगाना बाकी रह गया अब राजेंद्र जी उसी बढ़ई के पास गये जिस ने जाहरवीर बाबा के मंदिर का दरवाजा बनाया था और उसके पास जाकर कहा की बढ़ाई मुझे वैसा ही दरवाजा बनवाना है जैसा तुम ने जाहरवीर बाबा के मंदिर का बनाया था बढ़ई ने कहा ठीक है बाबूजी मैं कोशिश करूंगा कि वैसा ही दरवाजा बन जाए अब राजेंद्र ने बढ़ाई को दरवाजा बनाने के लिए कुछ पैसे दे दिए और अपने घर चला गया बढ़ई ने अपना काम शुरू कर दिया परंतु वैसा दरवाजा बढ़ई के बनाने में नहीं आ पा रहा था क्योंकि उस दरवाजे को बनाने में देखा जाए तो 1 तरीके से जाहरवीर बाबा की दैविक शक्ति का हाथ था और दोबारा बढ़ई उस तरीके का दरवाजा नहीं बना पा रहा था फिर भी कोशिश करके बढ़ाई ने दरवाजा तैयार किया और 10 दिन बाद राजेंद्र जी अपना दरवाजा लेने के लिए बढ़ई की दुकान पर पहुंचे राजेंद्र सिंह ने बढ़ाई से कहा क्या हमारा दरवाजा तैयार हो गया बढ़ई ने कहा हां बाबू जी आपका दरवाजा तैयार हो गया बढ़ई ने राजेंद्र को वह दरवाजा दिखाया परंतु वह दरवाजा उस मंदिर के दरवाजे से काफी अलग था और देखने में भी कुछ खास नहीं था राजेंद्र बढ़ई पर गुस्सा होने लगा बढ़ई ने कहा बाबूजी मैंने बहुत कोशिश की परंतु यही दरवाजा बना है वैसा दरवाजा नहीं बना पाया राजेंद्र सिंह गुस्से में था परंतु जब दरवाजा बन गया था उसे अपने घर लेकर ही जाना था इसलिए उसने दरवाजे को अपने बैलगाड़ी में रखवा कर वहां से चल दिया उसने दरवाजा अपने घर के बाहर रखवा दिया और उसे वहीं छोड़ दिया उसने सोचा अब क्या करूं मैंने सबको कहा था कि मैं ऐसा ही दरवाजा घर पर लगा लूंगा इसमें तो मेरी बेज्जती हो जाएगी उसने सोचा मै इस दरवाजे को जाहरवीर बाबा के मंदिर के दरवाजे पर लगा दूं और जो मंदिर वाला दरवाजा है वह अपने घर पर लगवा दूं और यह काम रात में करूंगा जिससे किसी को पता नहीं लगेगा उसने कुछ मजदूरों को ज्यादा पैसे देकर उस काम के लिए तैयार कर लिया अब रात हो चुकी थी तकरीबन रात के 1:30 बज गए थे राजेंद्र और मजदूर मिस्त्री सब आए और उन्होंने जाहरवीर बाबा के मंदिर का दरवाजा उतार दिया और राजेंद्र सिंह दरवाजा लाए थे उस दरवाजे को मंदिर पर लगा दिया, आज राजेंद्र सिंह मंदिर वाले दरवाजे को अपने घर ले गए और उन्होंने वह दरवाजा अपने घर पर लगा लिया लोगों ने यह देखा की राजेंद्र सिंह जी के घर पर जो दरवाजा लगा है वह ऐसा ही है जैसा मंदिर पर लगा था परंतु आज मंदिर पर जो दरवाजा लगा है वह उसके घर से नहीं मिलता था लोगों ने सोचा कि शायद राजेंद्र सिंह ने यह दरवाजा अपने घर पर लगा लिया है परंतु सभी यह सोच रहे थे कि कल तक तो दरवाजा दूसरा था आज दूसरा कैसे ऐसा तो एक रात में नहीं हो सकता इसके लिए तो काफी टाइम चाहिए और राजेंद्र सिंह समाज की नजरों में एक इज्जत दार व्यक्ति था इसलिए उसे कोई कुछ कह भी नहीं सकता था
आज राजेंद्र सिंह को दरवाजा लगवाए हुए 4 दिन हो गए थे पांचवें दिन रात के समय राजेंद्र सिंह को एक आवाज आई राजेंद्र सिंह मेरा दरवाजा मेरे घर पर ही लगा कर ओओ राजेंद्र सिंह ने कहा कौन हो भाई राजेंद्र सिंह ने देखा कि एक आदमी नीले घोड़े पर सवार था और राजेंद्र सिंह से कह रहा था मेरे घर का दरवाजा मेरे घर पर लगाकर आओ वरना अच्छा नहीं होगा राजेंद्र सिंह ने कहा कौन हो तुम यहां से चले जाओ वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा इतना कहकर वह नीले घोड़े वाला आदमी वहां से चला गया सुबह हो गई राजेंद्र ने सोचा कि यह एक सपना था, परंतु फिर 2 दिन बाद वहीं नीले घोड़े वाला आदमी राजेंद्र सिंह से दोबारा कहने आया राजेंद्र सिंह मेरे घर का दरवाजा वहीं पर लगा कराओ राजेंद्र सिंह ने कहा तुम्हारा घर कहां है और तुम कौन हो नीले घोड़े वाले व्यक्ति ने कहा कि मेरा घर वही है जहां से तुम यह दरवाजा चुरा कर लाए हो राजेंद्र सिंह ने कहा कि मैंने तो किसी का दरवाजा नहीं चुराया तुम यहां से चले जाओ वरना अच्छा नहीं होगा नीले घोड़े वाले ने कहा दरवाजा वहां पर वापस लगाओ वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा और ऐसी बातचीत करते करते रात निकल गई राजेंद्र सिंह अगले दिन उठा और उसने सोचा कि परसों भी यह कह रहा था कि मेरा दरवाजा वही लगाओ और राजेंद्र सिंह ने कहा कि यह कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने मुझे दरवाजा निकालते हुए देख लिया था परंतु उस से क्या डरना यह क्या कहेगा इसके बस की कुछ नहीं है ऐसे ही करते करते लगभग 6 दिन बाद तीसरी बार रात के समय नीले घोड़े वाला व्यक्ति फिर से आया और राजेंद्र को जगाया राजेंद्र से कहा कि यह दरवाजा तुम वहां पर लगा कर आ जाओ राजेंद्र सिंह अबकी बार खड़ा हो गए और उन्होंने कहा कि मैं नहीं लगाऊंगा जा जिससे भी कहता हो कह दे इस पर नीले घोड़े वाले व्यक्ति ने राजेंद्र सिंह से कहा कि मैं तुझे सही 1 महीने की मोहलत दे रहा हूं अगर एक महीने बाद मुझे यह दरवाजा वापस नहीं मिला तो इसका अंजाम तुझे भुगतना ही होगा और मैं इसके बाद नहीं आऊंगा। राजेंद्र सिंह ने कहा तू जा ऐसे अंजाम तो मैंने बहुत देखे हैं इतना कहकर नीले घोड़े वाला व्यक्ति वहां से चला गया और अगले दिन राजेंद्र ने अपनी पत्नी को बताएं उसकी पत्नी ने कहा कि तुम दरवाजा वापस वही लगवा दो क्या पता कोई अनहोनी हो जाए पर राजेंदर सिंह किसी की मानने वाला नहीं था
1 दिन सुरेंद्र ने किसी और के हाथों खबर भिजवाई कि मैं अगले महीने आऊंगा अभी छुट्टी पास नहीं हुई है ऐसा करते करते एक महीना बीत गया और उस नीले घोड़े वाले बाबा की बात का कोई फर्क नहीं हुआ अब राजेंद्र ने सोचा कि उस नीले घोड़े वाले व्यक्ति ने बिना वजह ही मुझे डरा रखा था अगर इतना ही दम होता तो वह व्यक्ति मुझसे जब भी दरवाजा ले सकता था यह सोच कर सुरेंद्र सिंह खुश हो रहा था,
आज से तीसरे दिन उसके लड़के को वापिस आना था और तीसरा दिन आ गया राजेंद्र सिंह का लड़का सुरेंद्र छुट्टी लेकर अपनी नौकरी से वापस आ रहा था और उसने देखा कि रास्ते में एक पुल पर जाम लगा हुआ है धीरे-धीरे करके एक एक करके गाड़ियां निकल रही हैं सुरेंद्र की गाड़ी का नंबर भी आ ही रहा था अचानक रास्ते में चलते एक आदमी ने सुरेंद्र से कहा कि तुम आगे मत जाना खतरा है सुरेंद्र सिंह ने सोचा की वैसे ही कोई बहका रहा है अब सुरेंद्र सिंह की गाड़ी जैसे ही पुल पर आई वह पुल टूट गया और उस गाड़ी में बैठे सभी व्यक्ति डूबने लगे सभी लोगों को सही सलामत बचा लिया गया परंतु सुरेंद्र सिंह का कहीं पता नहीं था
यह खबर राजेंद्र सिंह के पास पहुंची और राजेंद्र सिंह जल्दी-जल्दी वहाँ पहुंच गए जहां सुरेंद्र सिंह डूब गया था राजेंद्र सिंह वहां रोने लगे और अपने बेटे को याद करने लगे परंतु उनका बेटा वहां से डूब कर चला गया था अब ना तो उनको बेटे की लास ही मिली और ना ही उसके अंतिम दर्शन हुए इस हादसे से तकरीबन 4 दिन बीत गए थे और राजेंद्र सिंह रात के समय अपनी खाट पर लेटे थे राजेंद्र सिंह को आवाज आई कि मेरा दरवाजा लौटा दो वरना आगे और भी बुरा वक्त आने वाला है राजेंद्र सिंह ने कहा क्या तुमने मेरे बेटे को मारा है उस व्यक्ति ने कहा नहीं इसको तो तुम्हारे अहंकार और तुम्हारी हट ने मारा है अगर तुम मेरा दरवाजा वहां पर लगा देते तो तुम्हें यह दिन देखा ना पड़ता और यदि अब भी नहीं लगाओगे तो और अंजाम भुगतना पड़ेगा राजेंद्र सिंह ने पूछा कि आप कौन हो आप मुझे अपने बारे में बताएं क्योंकि ना मैंने आपको कभी आसपास नहीं देखा है और ना आप हमारे गांव के हो ,
नीले घोड़े वाले ने कहा मैं वही हूं जिसके लिए तुमने यह मंदिर बनाया है राजेंद्र सिंह ने कहा आप जाहरवीर बाबा हो नीले घोड़े वाले व्यक्ति ने कहा हां और राजेंद्र सिंह रोते-रोते उनके पैर में गिर गए और माफी मांगने लगे जहार वीर बाबा ने कहा ठीक है मैंने तुम्हें माफ किया राजेंद्र सिंह बोले कि मैं सुबह ही आपका दरवाजा वापस लगवा दूंगा और अगले दिन राजेंद्र सिंह ने अपने घर का दरवाजा उतरवाकर मंदिर पर लगवा दिया और मंदिर वाला दरवाजा अपने घर पर लगवा लिया लोगों ने पूछा तो राजेंद्र सिंह ने उनको सच्चाई बताई आज भी राजेंद्र सिंह का छोटा लड़का जाहरवीर बाबा की इस माया को समझ गया और उनकी भक्ति बड़े श्रद्धा भाव से करता है और अब उनका परिवार काफी समृद्ध है
इसीलिए कहते हैं कि भगवान सब कुछ देखता है, हमें कभी कुछ गलत नहीं करना चाहिए जो गलती हम करते हैं उसका भुगतान हमारे बच्चे करते हैं,
दोस्तों अब चलते हैं और फिर मिलेंगे अपनी अगली कहानी के साथ
धन्यवाद
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