ब्रह्म समाज
स्थापना 20 अगस्त 1828
स्थान -कलकत्ता
संस्थापक – राजाराम मोहन राय
राजा राम मोहन राय
राजा राममोहन राय का जन्म 1772 ईस्वी को पश्चिम बंगाल में हुआ था इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था|
राजा राम मोहन राय को राजा की उपाधि मुगल सम्राट अकबर द्वितीय के द्वारा दी गई अकबर 213 इन्हें अपनी पेंशन के संबंध में एक बार इंग्लैंड भेजा था राजा राममोहन राय के आग्रह से अकबर द्वितीय की पेंशन को पुनः शुरू कर दिया गया जिससे खुश होकर अकबर द्वितीय इन्हें राजा की उपाधि थी|
राजा राम मोहन राय द्वारा स्थापित ब्रह्म समाज के उद्देश्य निम्नलिखित है
सती प्रथा को प्रतिबंधित कराना
कन्या हत्या बंद कराना
विवाह की आयु को बढ़ाना
नारी शिक्षा को प्रोत्साहन देना
बाल विवाह बंद कराना
समाज में फैली छुआछूत की भावना को समाप्त करना
राजा राममोहन राय ने 18 14 ईसवी में कोलकाता में आत्मीय सभा की स्थापना की तथा मूर्ति पूजा जाति प्रथा की कठोरता अर्थहीन रीति-रिवाजों तथा अन्य सामाजिक बुराइयों की आलोचना की राजा राममोहन राय सभी धर्मों की मोलिक समानता में विश्वास रखते थे उन्होंने कहा कि हमें दूसरे धर्म से उन बातों को ग्रहण करना चाहिए जो हमारे लिए और हमारे धर्म के लिए सही है|
राजा राममोहन राय के अथक प्रयासों के बाद लॉर्ड विलियम बेंटिक ने 1829 में सती प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया या प्रतिबंध लगा दिया सती प्रथा हमारे समाज में फैली हुई एक बहुत ही रूढ़िवादी प्रथा थी इस प्रथा के अनुसार यदि पत्नी से पहले पति की मृत्यु हो जाती थी तो उसे समाज में जीने का अधिकार नहीं था और उसे पति के साथ ही चिता में जिंदा जला दिया जाता था| राजा राममोहन राय ने स्त्रियों की इस हीर दशा का कट्टर विरोधी क्या स्त्री की सामाजिक दशा तथा उसके साथ किए जा रहे भेदभाव से बहुत दुखी हुए तथा राजा राममोहन राय ने स्त्रियों को संपत्ति का अधिकार देने की मांग की थी स्त्रियों को शिक्षा देने के पक्ष में थे |
राजा राममोहन राय ने अपने अंग्रेज मित्र डेबिट हेयर के सहयोग से कलकत्ता में 18 सो 27 ईस्वी में हिंदू कॉलेज की स्थापना की तथा 1825 में राजा राममोहन राय ने वेदांत कॉलेज की स्थापना की बैठक कॉलेज में भारतीय शिक्षा के साथ भाषा पाश्चात्य शिक्षा भी दी जाती थी उनका मानना था कि भारतीय शिक्षा के साथ-साथ पाश्चात्य शिक्षा का होना बहुत आवश्यक है जो भविष्य में हमारे लिए बहुत उपयोगी होगा| तथा राजा राममोहन राय ने 1821 में संवाद कौमुदी पत्रिका का प्रकाशन किया तथा 1822 में समाचार चंद्रिका का प्रकाशित किया|
1822 में राजा राममोहन राय ने मिरत -उल- अखबार की शुरुआत की यह भारत में फारसी भाषा में प्रकाशित होने वाला पहला अखबार था तथा 1829 में वंगदूत समाचार पत्र का प्रकाशन किया और यह 4 भाषाओं में प्रकाशित होता था राजा राममोहन राय को भारतीय पत्रकारिता का जनक कहा जाता था तथा इन्हें आधुनिक भारत का जनक वह भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत बंगाल में नवजागरण के किताब महा के उपनाम से भी जाना जाता था|
1835 ईस्वी में राजा राममोहन राय ने इंग्लैंड के शहर ब्रिस्टल में अपनी अंतिम सांस ली|
राजा राममोहन राय की मृत्यु के कुछ समय बाद 18 66 में ब्रह्म समाज दो शाखाओं में विभाजित हो गया
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