भारतीय इतिहास में स्त्रियों की स्थिती
भारतीय इतिहास में स्त्रियो को पहले से सर्बश्रेष्ट स्थान प्राप्त थे भारत का इतिहास नारी शक्ति के गौरवपूर्ण कथाओं से भरा पड़ा है उस समय स्त्रियों को पुरुषों से कम नहीं समझा जाता था स्त्रियाँ युध्द मैं भी भाग लेती थी।
भारतीय इतिहास स्त्रियों का स्थान गौरवपूर्ण था उस समय स्त्रियाँ घर की चारदीवारी के भीतर नहीं रहती थी उस समय में उन्हें पूरी स्वतंत्रता थी यहां तक की स्त्रियां अपनी मर्जी से ही अपने जीवनसाथी का चेन करती थी|
उस समय स्त्रियों को सम्मान की दृष्टि से देखा का जाता था उस समय में स्त्रियों का स्थान किसी भी देवी से कम नहीं आका जाता था।
सृष्टि के विकास में स्त्री और पुरुषों दोनों का ही बहुत महत्वपूर्ण योगदान है भारतीय इतिहास में भारती स्त्रियों का जीवन बहुत ही सम्मान जनक होता था। जो कोइ भी स्त्रियों के मान समान को हानि पहुँचने की कोशिस करता था उसे बहुत ही कठोर दण्ड दिया जाता था।
चाहे वह राजा का पुत्र ही क्यों न हो उस समय में सभी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। इस शहर में राजा और प्रजा का संबंध अपने सगे संबंधियों के जैसा होता था। अर्थात राजा प्रजा को अपनी संतान की तरह समझते थे।
जो कोई भी स्त्रियों को तुच्छ समझते थे उनका विनाश किसी न किसी रूप में स्त्रियों के कारण ही हुआ था |
बलिदान की प्रतिमा
भारतीय इतिहास में स्त्रियों को अपनी इच्छा अनुसार बर ही नहीं चुनने की स्वतंत्रता की बल्कि उनके संबंध में जो कोई भी गलत विचारधारा रखता था।
उसे दंडीत करने का पुरा अधिकार था भारतीय इतिहास में स्त्रियों ने अनेक लड़ाई लड़ी थी। इनमें सबसे पहले नाम रानी लक्ष्मीबाई का आता है।
झांसी के राजा गंगाधर राव की पत्नी थी गंगाराव की मृत्यु के बाद उन्होंने ही झांसी पर शासन किया था। और उन्हें अंग्रेजो के खिलाफ अपनी एक नारी सेना का निर्माण भी किया था। और उनकी इस सेना ने अंग्रेजो का बहुत ही वीरता से सामन किया था।
रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए उन्होंने अपने आप को अट्ठारह सौ सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम में अपने आप को बलिदान कर दिया और भी अनेक ऐसे नाम है जिन्होंने भारत के इतिहास को गौरवान्वित क्या है| बे नाम इस प्रकार है जैस- विजय लक्ष्मी पंडित, रानी अवंती बाई, सरोजिनी नायडू आदि |
मध्यकाल में स्त्रियों की स्थित
भारत पर जब से अंग्रेजो का अधिकार हुआ था समझो इस समय से ही स्त्रियों की स्वतंत्रता भी समाप्त होने लगी थी।
उस समय में पर्दा प्रथा का चलन हुआ था। उस समय स्त्रियों को घर की चारदीवारी में रहने का ही अधिकार था अंग्रेजी शासक बहुत ही निर्दय और क्रूर थे।
उस समय समाज में अनेकों प्रथाओ का चलन हुआ जिससे स्त्रिओ के सभी अधिकार समाप्त हो गये | अंग्रेज शासक भारत में व्यापार करने की जरिये भारत में आये थे। और फिर उन्होंने भारत पर अपना अधिकार करना शुरू कर दिया।
इसके लिए उन्होंने अनेको स्त्रियों का अपहरण क्या और जो कोई भी इनका विरोध करता था यह उसे मार देती थी। इसी कारण उस समय में स्त्रियों के अधिकार घर की चारदीवारी तक ही सीमित रह गये थे |
वर्तमान भारत में स्त्रियों की स्थिति
वर्तमान भारत में स्त्रियों की की स्थिति में सुधार करने के लिए भारत के अनेकों महान व्यक्तियों ने अनेकों प्रथाओं को समाप्त किया। इसमें बाल विवाह, सती प्रथा आदि शामिल थी वर्तमान में स्त्रियों को समान अधिकार प्राप्त करने के लिए हमारे संविधान में अनेक धाराएं हैं।
आज की स्त्रियों को शिक्षा का व हर चीज में सम्मान अधिकार प्राप्त है। आज हमारे देश की स्त्रियां हर एक ऐसी जगह पर कदम जमा रही है। जो भारत वासियों लिए बहुत ही गर्भ की बातें है|
हमारे देश की सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक प्रकार की योजनाओं का संचालन किया है। इसमें एक समूह योजना भी शामिल है
भारत के आज स्त्रियां जल सेना, थल सेना और वायुसेना में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और उन्हें काफी हद तक सफलता मिल रही है |
वर्तमान में स्त्री सेना में ही नहीं बल्कि खेलकूद और अनेकों ऐसे विभाग है जहां स्त्रियां पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति के पद पर आगे बढ़ रही है |
इसके लिए सरकार ने अलग से “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” योजनाओं का भी संचालन किया। इस योजना के तहत बच्ची हो पढ़ने के लिए से सरकार की ओर से पैसे दिए जाते हैं ताकि वह अपनी पढ़ाई को सही रूप से कर सकें|
इसके यह सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना भी शुरू की है इस योजना में लड़की के माता पिता को अपने पास के डाकघर में एक खाता खुलवाना होता है जिसमें लडकी के माता -पिता हर महीने ₹1000 जमा करने होंगे और इनका पैसों पर सरकार की ओर से अधिक ब्याज दर की जाती है।
और समय अभी पूरी होने पर इन पैसों को निकाल लिया जाता है | जिनका का उपयोग उनके विवाह या पढ़ाई में किया जाना है|
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