आलसी हमारे जीवन की सबसे बड़ी परेशानी है और यह कैसा शब्द है जो हमें दिखाई भी नहीं देता जिसे हम खुद अपने पास बुलाते हैं।
मैंने अक्सर देखा है विद्यार्थी हमेशा किसी ना किसी छोटे से कारण के लिए ही अपना समय व्यर्थ करते रहते हैं जबकि यदि वे चाहें तो इसका अल्टरनेट तरीका भी खोज सकते हैं।
दोस्त वाले से हमारे जीवन का एक ऐसा शब्द है जो हमें बहुत अच्छा लगता है और यह अपने जीवन के हम हर एक क्षण इसे महसूस कर सकते हैं अगर चाहे तो अपनी छोटी छोटी चीजों पर नियंत्रण रखकर ही हम इसे काबू में कर सकते हैं।
आपको मैं एक छोटा सा वाक्य सुनाना चाहता हूं अभी फिलहाल में लॉकडाउन का समय बीता है सभी स्टूडेंट्स घर पर थे।
दोस्तों जब आप अपनी वार्षिक एग्जाम के नजदीक आते हैं तो आपको यह लगता है कि काश हमें थोड़ा टाइम और मिल जाता जब हमारे एग्जाम के लिए एक महीना रह जाता है तो हमें लगता है कि एक महीना और होना चाहिए था जब हमारे एग्जाम के लिए 1 हफ्ते का समय बचता है तो हमें लगता है कि काश एक हफ्ता और होता जब हम एग्जाम देने के लिए एकदम नेक्स्ट डे तैयारी करते हैं तो हमें लगता है कि आप एक दिन तो कम से कम और होना चाहिए था।
यह हर इंसान की समस्या होती है क्योंकि सभी व्यक्तियों का ह्यूमन नेचर इसी प्रकार का होता है अभी फिलाल की बात ले लीजिए लॉकडाउन से पहले आईआईटी के भी एग्जाम होने वाले थे और लगभग सभी कक्षाओं के चाहे वह स्कूल लेवल की हो जाए ग्रेजुएशन लेवल की हो चाहे पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल की हो सभी के एग्जाम लगभग शुरू ही होने वाले थे।
लेकिन तभी अचानक से कोरोना वायरस के कारण लोग डाउन लगाना पड़ गया और बच्चों के सभी एग्जाम पोस्टपोन हो गए थे इसमें कुछ विद्यार्थियों ने इसे अपॉर्चुनिटी के तौर पर लिया कि उन्हें और पढ़ने का टाइम मिल गया और कुछ विद्यार्थी ने इसे एंजॉयमेंट के तौर पर लिया कि चलो अब एग्जाम से तो छुट्टी हुई।
लेकिन दोस्तों जिन्होंने इसे अपॉर्चुनिटी के तौर पर लिया था वह अपने जीवन में जरूर सक्सेस हासिल करेंगे लेकिन जिन्होंने इस एंजॉयमेंट के लिए निकाल दिया उन्हें अपने भविष्य में काफी परेशानियां झेलनी पड़ेगी।
क्योंकि जब हम पढ़ लिख कर अपने कैरियर में किसी मुकाम पर पहुंचेंगे तब हमसे कोई यह नहीं पूछा था कि तुमने लॉकडाउन में पढ़ाई की थी या नहीं की थी लोग केवल फाइनल रिजल्ट को ही देखते हैं
जब आप जिस भी सब्जेक्ट की पढ़ाई कर रहे हैं जिसकी कक्षा में पढ़ रहे हैं उसकी फाइनल मार्कशीट आएगी तो आपके केवल परसेंटेज देकर जाएंगे यह नहीं देखा जाएगा कि उस समय आप कोरोना वायरस के कारण पढ़ नहीं पाए थे या कुरान वायरस के कारण 6 महीने का लोक डाउन लग गया था यह सारी चीजें हमें अपने ध्यान में रखनी चाहिए।
इसी के लिए एक कहां पर भी बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो रही है मैं आपको उसके दो शब्द सुनाना चाहूंगा।
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
इसका वही भारत है कि जब हमारे पास समय था तो हमने उसे पढ़ाई नहीं की और अब समय नहीं है तो हम सोच रहे हैं कि का समय और समय मिल जाए हमारे जीवन की एक टेंडेंसी बन गई है एक लत बन गई है कि हम अब सर को पहचान नहीं पाते हैं और अपनी प्रतिभा को निखार नहीं पाते।
लेकिन बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है उम्मीदों का दरवाजा हमेशा खुला रहता है और हमें अपने जीवन में आने वाली अपॉर्चुनिटी को आने वाले लोगों को हमेशा टकटकी लगाकर देखते रहना चाहिए और जैसे ही मौका मिले उसे पकड़ लेना चाहिए।
जब जागो तभी सवेरा
दोस्तों अगर आप यह सोच रहे हैं कि हमने यह समय व्यर्थ कर दिया है इस समय में हम कोचिंग नहीं कर पाया किताब नहीं पढ़ पाए हैं और अपने विषय की अच्छी तैयारी नहीं कर पाए हैं तो आप उस चीज को एकदम भूल जाइए
ईमान के चलिए कि ऐसा कोई लोग डाउन लगा ही नहीं था और आपका भाई बस चल रहा है जिसमें आप पढ़ रहे थे और आपको अपनी स्टडी वहीं से शुरू करनी है जहां पर आप ने छोड़ी थी
हमें अपने खराब हो गई समय के लिए आने वाले अच्छे समय को खराब नहीं करना है और लगातार अपने विषय पर अध्ययनरत रहना चाहिए इसीलिए कहा गया है जब जागो तभी सवेरा।
अगर आप किसी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो उसे दोबारा से कंटिन्यू कर दीजिए अगर आप किसी प्रोफेशनल कोर्स या रेगुलर कोर्स में लगे हुए हैं तो उसकी पढ़ाई भी दोबारा से शुरू कर दीजिए और अपनी किताबों का ध्यान गहन अध्ययन शुरू कर दीजिए इसी से आपका भला होने वाला है और कोई भी चीज आपको सहारा नहीं दे सकती है।
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