पुरा महादेव मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
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पुरा महादेव मंदिर का निर्माण लंढोरा की महारानी ने करवाया था। महारानी एक बार जंगल में घूमने आई थी तो महारानी उस समय हाथी की सवारी कर रही थी। जंगल में घूमते घूमते हाथी एक स्थान पर आकर रुक गया और उससे आगे नहीं बोला महावत ने पूरी कोशिश की लेकिन हाथी ने एक भी कदम रखने से मना कर दिया। तभी महारानी ने अपनेRead more
पुरा महादेव मंदिर का निर्माण लंढोरा की महारानी ने करवाया था। महारानी एक बार जंगल में घूमने आई थी तो महारानी उस समय हाथी की सवारी कर रही थी।
जंगल में घूमते घूमते हाथी एक स्थान पर आकर रुक गया और उससे आगे नहीं बोला महावत ने पूरी कोशिश की लेकिन हाथी ने एक भी कदम रखने से मना कर दिया।
तभी महारानी ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि इस वीरान सी जगह पर जा कर देखिए कि क्या है तो सैनिकों ने जब जांच की तो उन्हें पता चला कि यहां पर एक पुराना खंडहर है और उसको साफ करने पर पूरा महादेव जी का शिवलिंग प्रकट हुआ।
महारानी स्थान के बारे में पता लग गया और फिर वहां पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया जिसे हम पुरा महादेव या फिर परशुरामेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं।
इतिहास में मौजूद जानकारी के अनुसार सबसे पहले इस मंदिर को भगवान परशुराम ने बनवाया था भगवान परशुराम ने जब अपने पिता जमदग्नि ऋषि की आज्ञा से अपनी माता का सिर धड़ से अलग किया था तो उन्होंने अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए आशुतोष भगवान शंकर जी की घोर तपस्या की थी।
परशुराम की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर भगवान ने यहां पर उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे और उनकी माता को जीवनदान दे दिया था।
भगवान शंकर ने परशुराम को एक परसा दिया था जिसके बाद ही उनका नाम परशुराम पड़ा था। भगवान शंकर ने परशुराम कोई अवतार दिया था कि जब आप इस पर से को लेकर युद्ध करेंगे तो आप हमेशा विजई होंगे आपको कोई नहीं हरा सकता।
क्योंकि भगवान शंकर की कृपा से ही जन्मदिन ऋषि की पत्नी रेणुका को जीवनदान मिला था इसीलिए रेणुका प्रतिदिन एक मिट्टी का घड़ा बनाती थी और उस घड़े से हरनंदी नदी जिसे हम पंचतीर्थी नदी या फिर वर्तमान समय में हम हिंडन नदी के नाम से जानते हैं वहां से जलाकर आशुतोष भगवान पुरा महादेव का जलाभिषेक करती थी।
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