Story
कहानी सच्ची घटना पर आधारित है हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र के मवाना कस्बे की है l यह घटना 1992 की है चलते हैं आगे
एक लड़का जिसका नाम रवि था जो गोरखपुर जिले का रहने वाला था वह पढ़ाई करके और अपनी टेक्निकल एजुकेशन पूरी करके नौकरी के लिए इंटरव्यू दे रहा था और उसके पिताजी यही मवाना में काम करते थे और वह दूर-दूर इंटरव्यू देने जाता था एक बार उस लड़के ने अपने पिताजी से कहा कि पापा आप अपनी ही कंपनी में मेरा इंटरव्यू दिलवा दो क्या पता मेरा यहां पर सलेक्शन हो जाए और मेरी नौकरी लग जाए उस लड़के के पिता जी ने अपनी कंपनी में इंटरव्यू के लिए बात की और अपने लड़के को गोरखपुर से बुलाया क्योंकि लड़का गोरखपुर में रहता था और पिताजी यहां पर नौकरी करते थे
रवि गोरखपुर से मवाना कम्पनी मे इंटरव्यू देने के लिए निकल पड़ा
और वहीं दूसरी ओर एक भाई (सोनू) और उसकी बहन (सोनिया) बिना मां बाप के दोनों रहते थे और सोनू भी उसी कंपनी में काम करता था जिस कंपनी में रवि के पापा जी काम करते थेl
और सोनू की बहन सोनिया एक बोहोत ही होशियार और पढ़ाई में रुचि रखने वाली और हर काम को अच्छी तरह करने वाली लड़की थी और कभी भी गलत संगत में नहीं पड़ती थी अपने स्कूल में हमेशा वह टॉप 1 नंबर पर आती थी पूरे स्कूल का नाम रोशन करती थी
शनिवार का दिन था और रवि की ट्रेन गोरखपुर से मेरठ के लिए दौड़ रही थी सोमवार को रवि का इंटरव्यू होने वाला था और रवि ट्रेन में बैठा बस यही सोच रहा था कि मेरी नौकरी लग जाए तो मैं बहुत खुशी से रह पाऊंगा और अपने मां-बाप के लिए कुछ कर पाऊंगा बस यही सोच लेते हुए रवि ट्रेन में सो गया और उसकी आंख खुली तब वह मेरठ स्टेशन पहुंच चुका था स्टेशन पर सुबह उत्तरा स्टेशन पर सुबह की चाय पी चाय पीने के बाद वह मवाना के लिए निकल पड़ा मवाना पहुंचने से पहले उसने सोचा आज बहुत खुशी का दिन दिन है मैं बहुत दिनों बाद अपने पिताजी से मिलूंगा उनके लिए कुछ मीठा लेकर चलता हूं। और उसने दुकान से दूध वाली मिठाई दूध वाली मिठाई उसके पापा को बहुत अच्छी लगती थी दूध की मिठाई लेकर वह अपने घर की तरफ निकल पड़ा और घर पहुंचा उसके पिताजी ने उसे देखा और बहुत खुश हुए रवि ने अपने पिता जी से आशीर्वाद लिया उसके पिताजी ने कहा बेटा बैठो आराम करो फिर आगे बात करेंगे और वह जो मिठाई लाया था उसने अपने पिताजी को दी उसके पिताजी बोले कि बेटा इतनी मिठाई तो मैं नहीं खा पाउंगा थोड़ी देर बाद आस-पड़ोस में भी मिठाई दे दूंगा कि मेरा बेटा है उस खुशी में मिठाई बांट रहा हुँ और बेटे ने कहा ठीक है पिताजी आप आराम करना मुझे बता देना कहां-कहां मिठाई बाटनी है मैं बांट दूंगा।
सोनू और उसकी बहन उसी कॉलोनी में उस गली के पीछे रहते थे जिस कॉलोनी में रवि के पापा रहते थे। अब रवि को लगभग आए हुए 3 से 4 घंटे हो गए थे पर उसने काफी आराम कर लिया था रवि ने अपने पापा को कहा पापा जी मैंने आराम कर लिया है आप मुझे बता दो कि ये मिठाई कहां-कहां बाटनी है। पापा ने बताया बेटा यह जो हमारी गली में जो घर हैं और हमारी गली के पीछे जो घर है सब में मिठाई बांट दो और सब को बता कर आना की तुम कौन हो और रवि मिठाई बांटने लगा और उसने सभी को यही बताया की वह, गंगा प्रसाद जी का बेटा है l अपनी गली मे मिठाई बांटकर आ गया और अब वह अपने घर के पीछे वाली लाइन में मिठाई बाटने गया l और वह मिठाई लेकर सबसे पहले पीछे वाली गली में गया और जब अपने पीछे मिठाई बांटता हुआ आखिरी मकान की तरफ पोहचा तो आखरी मकान सोनिया का था l रवि ने उस आखरी घर के बाहर जा कर दरवाजा खटखटाना चालू किया और आवाज़ दी तो अंदर से आवाज आयी अभी आ रही हूँ एक मिनट रुको जरा
अगले पल सोनिया बाहर आयी और दरवाज़ा खोला और देखा कि एक बोहोत ही सुंदर लड़का अपने हाथ में मिठाई लेकर खड़ा है l और रवि ने सोनिया को देखा रवि ने ऐसी लड़की पहली बार देखी थी रवि और सोनिया एक दूसरे को देखते ही रह गये अचानक रवि को ध्यान आया कि मै तो मिठाई बाँटने आया हुँ l
अगले पल रवि बोल नमस्कार मेरा नाम रवि है और मै गंगा प्रसाद जी का बेटा हुँ आज पहली बार गोरखपुर से यहाँ आया हुँ इस लिए पाप जी मिठाई बाटवा रहे हैं और आप का नाम क्या है सोनिया ने बताया मेरा नाम सोनिया है l मै और मेरा भाई यहाँ रहते हैं और अभी भैया जी घर पर नहीं है l रवि बोला कोई नहीं आप से मिल लिया वो ही काफी है मेरे लिए और रवि मिठाई दे कर बोलता है ये मिठाई आप के लिए है आप ही खाना और कोई नहीं सोनिया बोली ऐसा क्यों रवि बोला आज तक आप से सुंदर लड़की मैने नहीं देखी अच्छा चलता हूँ फिर मिलेंगे अब रवि वहाँ से जाने लगा रवि को जाता देख सोनिया बोली पानी तो पी जाओ रवि बोला वो भी पियेंगे बाद में और रवि चला गया l
उस रात दोनो बोहोत बेचैन थे दोनो एक दूसरे के बारे में सोच रहे थे और जाने कब दोनो सो गये सुबह हो गयी सुबह उठ कर रवि बोला पापा जी मै घूम कर आता हुँ आप नहा लो और रवि बाहर आया और सीधा सोनिया के घर की तरफ चल दिया देखा तो सोनिया घर के बाहर झाड़ू लगा रही थी और रवि वहाँ पोहच कर उसे देखने लगा दोनो ने एक दूसरे को देखा और आँखों ही आँखों से बात की इतने मे सोनिया का भाई सोनू घर के बाहर आया रवि ने देखा की सोनिया का भैया बाहर आ गया तो वह उस गली से आगे निकल गया परन्तु जब वह घूम कर वापस आ रहा था तो सोनू ने उसे रोका और पूछा कि तुम कोन हो और आज यहाँ पहली बार देखा है आपको रवि बोला मेरा नाम रवि है और मै श्री गंगा प्रसाद जी का लड़का हुँ l इतने मे सोनिया बाहर आयी और बोली हाँ भैया ये उन ही के लड़के हैl और ये कल मिठाई बात कर गये थे जो मिठाई आपने रात खाई थी वो ये ही दे कर गये थे l
सोनू बोला आप यहाँ किसी काम से आये हैं
रवि हाँ भाई साहब मैं इंटरव्यु देने आया हूँ इस पर सोनू बोला अच्छा अच्छी बात है l चलो रवि जी अब चलते हैं फैक्टरी के लिए देर हो जायेगी और आप अच्छे से अपना इंटरव्यू देना इतना बोलकर सोनू अन्दर नहाने चला गया सोनिया ने रवि को बाय बोला और कहा बाद में मिलते हैं l और रवि भी अपने घर की तरफ चल दिया l
आज आज रवि का इंटरव्यू देने का दिन है और वह सुबह नहा धोकर अपने घर से तैयार होकर इंटरव्यू के लिए निकल गया और अपने पीछे वाली गली तक पहुंचते पहुंचते बहुत जोर जोर से आवाज सुनाई देने लगी बचाओ बचाओ बचाओ रवि ने देखा की पूरी गली के व्यक्ति सोनू के घर के आगे इकट्ठा हुए हैं और सोनू के घर की तरफ देख रहे हैं दरवाजा खटखटा रहे हैं कि क्या हुआ क्या हुआ परंतु घर के अंदर से सिर्फ आवाज आ रही है बचाओ बचाओ ऐसे में रवि बहुत ही घबरा जाता है कि अचानक से सोनिया के घर में क्या हुआ जो सोनिया इतनी जोर जोर से चिल्ला रही है जरूर कुछ गड़बड़ है मुझे जाकर देखना पड़ेगा और अगले ही पल रवि भागकर घर की दीवार पर उछल कर चढ़ गया और जो उसने अन्दर देखा उसे देख कर वो हक्का बक्का रह गया
रवि दीवार पर चढ़ गया और दीवार पर चढ़कर उसने घर के अंदर झांका तो हक्का-बक्का रह गया क्योंकि सोनिया के घर की रसोई में एक बहुत ही बड़ा बंदर आ गया था और उससे डर कर वह चिल्ला रही थी बचाओ बचाओ और घर पर सोनू भी नहीं था। ऐसे में रवि ने कोशिश करके इस बंदर को घर से निकाला और वहां से भगाया तब जाकर सोनिया की जान में जान आई और दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे क्योंकि आज रवि का इंटरव्यू का दिन था तो रवि इंटरव्यू देने के लिए निकल गया और सोनिया रवि के ख्यालों में खोई रही ऐसे ही धीरे-धीरे छोटी-छोटी मुलाकातों से दोनों के बीच गहरा प्रेम हो गया
और रवि ने जो इंटरव्यू दिया था उसका रिजल्ट भी आ गया और उसका सिलेक्शन उसी कंपनी में हो गया जिस कंपनी में उसके पिताजी काम करते थ और सोनिया का भाई भी उसी कंपनी में काम करता था अब धीरे-धीरे दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगी लगभग दोनों का प्रेम प्रसंग शुरू हो गया था दोनों का मिलना जुलना शुरू हो गया था घर से बाहर जा जाकर दोनों मिला करते थे लेकिन दोनों को नहीं पता था यह प्रेम परवान नहीं चढ़ने वाला था क्योंकि उसी कॉलोनी में एक दिनेश नाम का लड़का और आ गया था जिसकी नजर सोनिया पर थी और वह सोनिया को बहुत पसंद करता था पर सोनिया उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी एक बार दिनेश ने सोनिया को अकेले पाकर सोनिया को प्रपोजल दिया दिनेश ने कहा कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं मैं तुम्हें बहुत खुश रखूंगा और बहुत प्यार करूंगा पर सोनिया ने कहा कि मुझे तुम बिल्कुल पसंद नहीं हो और ना ही मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं और यदि आगे से तुमने मुझे छेड़ा तो मैं अपने भैया से बता दूंगी सोनिया क्या कर चली गई दिनेश को यह बात बहुत बुरी लगी और दिनेश ने उसे अपनी बेज्जती समझा और उसने फैसला किया कि मैं इस बेज्जती का बदला सोनिया से जरूर लूंगा दिनेश रोजाना सोनिया का पीछा करता था और कोशिश करता था उससे बात करने के लिए परंतु सोनिया से बात नहीं करती थी लेकिन एक दिन ऐसा आया सोनिया और रवि दोनों एक दूसरे के साथ घूम रहे थे और बातें कर रहे थे तभी दिनेश की नजर सोनिया और रवि पर पड़ी और उसने देखा दोनों बहुत हँस हँस के बातें कर रहे थे l
और यह देखकर दिनेश ने कहा कि इन दोनों के बीच कुछ ना कुछ जरूर चल रहा है और मैं इसका पता लगाकर ही रहूंगा अब दिनेश पल पल रवि और सोनिया पर नजर रखने लगा पर उसने देखा कि सोनिया और रवि कभी-कभी वैसे ही रास्ते रास्ते बीच में मिल जाते थे तो बात कर लेते थे ऐसा व्यवहार देखकर दिनेश ने सोचा कि मैं गलत हूं दोनों के बीच कुछ नहीं है जब दिनेश को यह यकीन होने लगा तो 1 दिन दिनेश ने देखा की सोनू और सोनिया बैठे हुए थे तभी रवि वहां पहुंचे और रवि, सोनू और सोनिया दोनों से बात करने लगा यह देख कर दिनेश ने सोचा कि जो मैं सोच रहा था वह गलत है क्योंकि कोई भी भाई अपनी बहन के साथ ऐसी हरकत बर्दाश्त नहीं करेगा इसलिए मैं गलत हूं।
परन्तु दिनेश के मन में वही बेज्जती वाली बात घूम रही थी कि सोनिया ने मुझे शादी से इंकार कर दिया और मेरी बेज्जती कर के वहां से चली गई दिनेश को लग रहा था की जितनी जल्दी हो सके मैं अपनी बेइज्जती का बदला सोनिया से ले लूं पर वह अपनी कोशिशों में कामयाब नहीं हो पा रहा था
और उधर रवि नौकरी में तरक्की कर रहा था और इधर सोनिया से उसका प्यार बहुत गहरा हो गया था दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे परंतु दोनों के बीच बिरादरी की दीवार आ गई थी क्योंकि रवि और सोनिया अलग-अलग बिरादरी के थे इसी वजह से दोनों की शादी के लिए दोनों के घर वालों का मानना नामुमकिन था
सोनू बहुत मेहनती लड़का था परंतु उसने शराब पीने की बड़ी गंदी आदत थी वह रोजाना शाम को शराब पीकर आता था और सोनिया से लड़ाई करता था
परंतु सुबह उठकर वह सब भूल जाता था वह अपनी बहन को बहुत प्यार करता था और वह चाहता था कि उसकी बहन कोई बहुत बड़ी सरकारी ऑफिसर बने जिससे वह बहुत खुशी से रह सके उधर दूसरी तरफ रवि रोजाना रात में सोनिया से मिलने उसके घर आता था । जब सोनू नशे के आलम में धुत होकर सो जाता था तो रवि रात में आकर सोने के साथ रहता था और दोनों ट्रेन प्रेम प्रसंग में विलीन रहते थे क्योंकि सोनू रोजाना दारू पीता था इसलिए रात में सोनू को होश ही नहीं रहता था ऐसा लगभग एक से डेढ़ साल चला l
एक दिन रात में रवि सोनिया के घर जा रहा था उस रात बहुत गर्मी थी और लाइट भी चली गई थी इसी कारण सभी लोग सोए नहीं थे और रवि सोनिया से मिलने के लिए बेचैन था परंतु उसे क्या पता था कि आज उसके लिए बहुत ही बेकार दिन है जब रवि सोनिया से मिलने के लिए निकला तो दूसरी तरफ दिनेश खड़ा था दिनेश ने देखा कि रवि अपने घर से इतनी रात में कहां जा रहा है दिनेश ने सोचा इसका पीछा करके देखता हूं यह कहां जा रहा है और दिनेश रवि के पीछे दबे पांव निकल गया रवि आगे पीछे देख कर सोनिया के घर की तरफ चल दिया दिनेश देखा के रवि इधर कहां जा रहा है यह तो रास्ता सोनिया के घर की तरफ का है परंतु दिनेश उसके पीछे चलता रहा और उसका पीछा करता रहा अंत में उसने देखा कि रवि सोनिया के घर के दरवाजे के पास पहुंच गया आज रवि को लग रहा था कि कोई उसका पीछा कर रहा है इसीलिए रवि ने अचानक पीछे मुड़कर देखा और रवि को एहसास हुआ कि कोई पेड़ के पीछे छुपकर खड़ा है और देखने की कोशिश कर रहा है
रवि ने पीछे देखा और भागकर उस पेड़ के पास गया पेड़ के पास जाकर रवि देखता है कि एक कुत्ता उस पेड़ के पास बैठा हुआ था और वह रवि की तरफ देख रहा था यह देख कर रवि की जान में जान आई और वह सोनिया के घर चला गया दोनों पूरी रात एक साथ रहे और लगभग सुबह 3:30 बजे करीब रवि उसके घर से अपने घर आ गया रवि के पिताजी की जो ड्यूटी थी वह रात की थी तो वह रात में 10:00 बजे चले जाते थे ड्यूटी पर और सुबह 6:00 बजे आते थे इसलिए रवि
उधर दूसरी तरफ दिनेश ने यह सारा वाकया अपनी आंखों से देखा कि रवि रात में सोनिया के घर गया और सुबह 3:30 बजे आया क्योंकि दिनेश पूरी रात वहां पर इंतजार करता रहा और आज दिनेश को अपनी बेइज्जती का बदला लेने का मौका मिल गया अब अगले दिन सुबह हुई और दिनेश सोनिया के घर पहुंच गया सोनिया का भाई सोनू अभी भी नशे में धुत था परंतु उसने सोनिया से कहा क्या बात है आज कल पूरी रात किसी और के साथ बिता रही हो मुझ में क्या कांटे लगे थे मैंने तो तुम्हें प्रपोज किया था शादी के लिए अगर तुम्हें ऐसे ही पसंद था तो मैं ऐसे ही तुमसे मिल लेता यह सुनकर सोनिया को बहुत गुस्सा आया और सोनिया ने उसे खूब सुनाई इतने में दिनेश बोला बस बस चुप हो जाओ मुझे फालतू बकवास सुनने की आदत नहीं मुझे पता है रात में कौन तुम्हारे घर पर था और कितने बजे गया और कितने बजे आया इसलिए मेरा मुंह मत खुलवाओ और यह सब कहकर दिनेश वहां से चला गया अब सोनिया को अंदर ही अंदर डर लग रहा था कि कहीं दिनेश पूरी मोहल्ले में यह बात ना फैला दें परंतु दिनेश तो कुछ और ही सोच रहा था
सोनिया रवि से मिली रवि को बताया रवि बोला कोई बात नहीं मैं दिनेश से बात कर लूंगा और उसे समझा दूंगा और यह क्या कर रवि दिनेश के पास चला गया और उसने दिनेश को बताया कि दिनेश मैं और सोनिया एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और बहुत जल्द शादी करना चाहते हैं इसलिए हम दोनों एक दूसरे से मिलते हैं परंतु हमारे बीच में कोई गलत संबंध नहीं है इस बात पर दिनेश बोला कोई बात नहीं है मैंने तो बस सोनिया को इसलिए सुनाया जिसमें मेरी बेज्जती करी थी जब उसे तुमसे प्यार था तो मुझे जब भी बोल सकती थी उसने मुझे उल्टा सीधा कह कर मेरी बेज्जती करी थी इसलिए मैंने उसे कहा मैं इस चीज का ध्यान रखूंगा यह बात मैं किसी को नहीं बताऊंगा आप इस बात से बेफिक्र रहो बस रवि यह बात कह कर और दिनेश को धन्यवाद कहकर चला गया परंतु दिनेश के मन में तो कुछ और ही बात चल रही थी
आज रामनवमी का दिन था और रावण को जलाया जाना था शहर में मेला लगा था वह बहुत ही बड़ा मेला था सभी लोग मेला देखने के लिए जा रहे थे परंतु सोनिया और रवि ने बहाना मारा कि हमारी तबीयत खराब है सोनिया ने अपने भैया सोनू से कहा भैया आज मेरी तबीयत बहुत ज्यादा खराब है मैं कहीं नहीं जा रही और इधर रवि ने अपने पापा से कहा पापा मैं दशहरा देखने नहीं जा रहा मेरी तबीयत ज्यादा खराब है मैं आराम करूंगा
और इधर सोनू आज दोपहर से ही शराब पीकर नेहा के नशे में था आज मैं अपने दोस्तों के साथ मेला देखने जाने वाला था परंतु आज उसके दोस्तों के साथ दिनेश भी सोनू के साथ मेरा देखने जा रहा था और मेले में जाने का समय आ गया सभी लोग मेले के लिए जाने लगे जब रास्ते में सब जाने लगे तो दिनेश ने सोनू से पूछा अरे अरे सब जा रहे हैं सोनिया को नहीं ले जाओगे कभी-कभी उस बेचारी को भी घुमा लिया करो सोनू ने मुस्कुराते हुए कहा भाई उसकी तबीयत खराब है और वह कहीं जाने लायक है नहीं इसलिए उसने कहा कि आप ही चले जाओ और कुछ ले आना खाने के लिए
उधर दिनेश ने नजर दौड़ाई रवि के पिताजी गंगा प्रसाद जी अकेले ही मेला देखने जा रहे थे दिनेश गंगा प्रसाद जी से पूछा कि नहीं आएगा गंगा प्रसाद जी की तबीयत खराब है आज नहीं आ पाएगा दिनेश को इस बात का पहले ही अंदाजा था कि आज दोनों मिलेंगे अकेले में और आज कुछ घटना घट सकती है देखते ही देखते पूरी कॉलोनी मेला देखने चली गई और कॉलोनी में सिर्फ रवि और सोनिया ही बाकी बचे अब रवि सोनिया के घर की तरफ चल दिया और दोनों सोने के घर में मिले आज दोनों का मूड कुछ बदला बदला सा था आज दोनों अपने प्रेम को बहुत गहराई से निभाने वाले थे दोनों एक दूसरे की सांसे सुन रहे थे दोनों एक दूसरे की बाहों में थे
आज दिनेश जी दूसरे मूड में था दिनेश मैं सोनू के साथ मिलकर मेला देखा और जब वह मेले में एक दुकान पर बैठे हुए थे तो सोनू ने कहा क्या बात है दिनेश इतनी गहराई क्या सोच रहे हो दिनेश ने कहा एक बात मेरी समझ में नहीं आई आज सभी लोग मेला देखने आए हैं सिर्फ रवि और सोनिया ही मेला देखने नहीं आए और ज्यादातर वह एक दूसरे से बात भी करते हैं मैंने तो काफी बार देखा भी है उनको मिलते हुए रास्ते में वह बातचीत कर लेते हैं परंतु आज दोनों ही नहीं आई दोनों को आना चाहिए था यह सुनकर सोनू का दिमाग घुमा और सोनू सोचने लगा की दिनेश ऐसी बातें क्यों कर रहा है उसने दिनेश को बहुत बात सुनाई और कहा तू कौन होता है मेरी बहन के बारे में ऐसा बोलने वाला दिनेश बोला कि मैं कौन होता हूं तेरी बहन के बारे में बोलने वाला तेरी बहन तो रात रात भर रवि के साथ सोती है मैंने अपनी आंखों से देखा है नहीं विश्वास आता तो आज चुपके से जाकर देख तेरे घर में रवि मिलेगा इतना
इतना सुनकर सोनू भाग कर अपने घर की तरफ चल दिया और अपने घर की तरफ जाकर देखा तो उसके घर पर ताला लगा हुआ था वह रवि के घर गया और उसने दरवाजा खटखटाया रवि ने पूछा कौन है सोनू बोला मैं सोनू हूं दरवाजा खोलो मुझे तुमसे बहुत जरूरी काम है उधर सोनिया और रवि दोनों नग्न अवस्था में थे रवि दरवाजा नहीं खोल रहा था सोनू बार-बार दरवाजा खटखटा रहा था दरवाजा न खोलने के कारण सोनू ने दरवाजे का एक हिस्सा तोड़ दिया और उस दरवाजे को अंदर से घुसकर खोल दिया अंदर जाकर देखा तो सोनिया आधे कपड़ों में थी और रवि भी आधे कपड़ों में था वह इस बात को देखकर बहुत ही गुस्से में हो गया और सोनू सोनिया को मारते मारते अपने कमरे की तरफ ले गया कमरा खोल कर उसे अंदर धक्का दे दिया और अंदर से कमरा लगा लिया और सोनिया को बहुत मारा और बहुत दारू पी दारू पीने के बाद सोनिया को इतना मारा कि सोनिया बेहोश हो गई और इधर रवि की हालत भी बहुत बुरी थी क्योंकि सोनू ने रवि को भी बहुत मारा था रवि भी बेहोश था
सोनू सोनिया को बेहोश अवस्था में एक बोरे में भरकर एक सुनसान जगह ले गया और वहां जाकर उसे कुल्हाड़ी से काट दिया और उसको जगह-जगह से काट कर रोने लगा जब सोनिया के कुल्हाड़ी लगी तो सोनिया होश में आई और चीखने लगी मुझे छोड़ दो मुझे छोड़ दो परंतु सोनू नशे में इतना धूत था कि उसे सोनिया की चीखें सुनाई नहीं दे रही थी और और उसने सोनिया को कुल्हाड़ी से काट दिया और मिट्टी का तेल छिड़ककर और बोरे में आग लगा दी और सोनिया जोर जोर से कर कर जलने लगी जलते जलते सोनिया की बॉडी अपने आप खड़ी हो गई और सोनू से बोली आपने यह अच्छा नहीं किया उसका बदला मैं सबसे लूंगी और मैं किसी को भी चैन से रहने नहीं दूंगी इसका भुगतान आप भी करोगे
वह दिन रवि के लिए बहुत ही दुखद दिन था रवि अपनी बेहोशी से उठा और सीधा सोनिया के घर गया और वहां जाकर देखा तो लोगों की भीड़ लगी हुई थी रवि ने आकर पूछा क्या हुआ सब यहां की भी लगाए हुए खड़े हैं दो सोनू बोला कि मैंने सोनिया को मार दिया और मार कर जला दिया क्योंकि उसने मेरी बेइज्जती पूरी दुनिया में करवा दी और वह भी तुम्हारी वजह से परंतु रवि बोला कि मैं उससे शादी करने वाला था तुमने यह गलत किया अब तुम्हें इसकी सजा जरूर मिलेगी वहां पर पुलिस आई और सोनू को पकड़ कर ले गई परंतु कुछ भी सबूत सोनू के खिलाफ नहीं मिले तो पुलिस को उसे छोड़ना पड़ा अब उस कॉलोनी में रवि का मन नहीं लगता था 1 दिन रवि रात में बैठा हुआ था तो रवि के पीछे से अचानक आवाज आई रवि वह सोनिया पहचाना रवि अचानक चौका और पीछे देखा तो उसने देखा कि सोनिया खड़ी हुई है पर सोनिया थोड़ी दूर खड़ी थी और रवि भागकर उसकी तरफ जाने लगा जितना भागकर रवि उसकी तरफ जाता सोनिया का चेहरा उसे बदलता हुआ नजर आता रवि ने पूछा तुम्हें क्या हुआ है और तुम्हें किसने मारा जबकि रवि को यह सब कुछ पता था सोनिया ने कहा उस रात तुम भी मुझे बचाने नहीं आए जिस रात मेरे भैया ने मुझे फुलारी से काट दिया था आज मेरी यह हालत है वह सोनू की वजह से और तुम भी मुझे बचाने नहीं आए
रवि बोला सोनिया में आता परंतु मैं तो बेहोश था मुझे ही नहीं पता था मैं जब सुबह तुम्हारे भैया के पास गया तब उसने मुझे बताया कि मैंने सोनिया को मार दिया है और तब से मैं पागलों की तरह तुम्हें ढूंढ रहा हूं और तुम मुझे छोड़कर यहां घूम रही हो सोनिया बोली रवि अभी हमारे मिलन का वक्त नहीं आया है अभी तो मुझे बहुत सारे काम करने हैं पर तुम मुझे रात में रोजाना यहां मिल सकते हो दूर से ही मिल सकते हैं
अब सोनिया एक बहुत ही खतरनाक आत्मा मैं ढल चुकी थी जिससे लोग बहुत परेशान थे वह कभी लोगों के बाथरूम में जाकर औरतों को पीटा करती थी और कभी आदमियों के सिर पर नाचती थी एक बार एक 10 साल के बच्चे कि अचानक तबीयत खराब हो गई और घर रात में रोने लगा उसके मां-बाप ने उसे बहुत पूछा तो उसके मुंह से सोनिया की आवाज आने लगी सोनिया बोली कि तुम लोगों ने मुझे बताया नहीं अब मैं इस बच्चे को ले तभी तुम्हें पता लगेगा की कुछ चीज दूर होने के बाद कैसा लगता है उसके मां-बाप बोले कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं इसमें तो तुम्हारे भैया की गलती है जिसने तुम्हें मारा तुम्हें उससे अपना बदला लेना चाहिए परंतु वह नहीं मानी यह बात रवि को पता लगी तो रवि दौड़ा दौड़ा उनके घर आया और बोला कि सोनिया तुम इस बच्चे को छोड़ दो सोनिया ने बोला कि नहीं रवि इसका खामियाजा तो एक-एक करके सब को भुगतना होग रवि ने कहा नहीं तुम प्लीज छोड़ दो परंतु सोनिया नहीं मानी
क्योंकि सोनिया एक भयानक आत्मा बन चुकी थी और वह सबसे अपना बदला लेना चाहती थी फिर बच्चे के मां बाप ने एक तांत्रिक को बुलाया जिस ने सोनिया को उसके शरीर से अलग किया अलग होने पर
सोनिया अगले दिन अपने भैया के सामने खड़ी हो गई और बोली सोनू तुमने अच्छा नहीं किया मुझे मार कर सोनू अब हमेशा नशे में धुत रहता था सोनू बोला तू मेरी नजरों से दूर हो जा वरना मैं तुझे दोबारा मार दूंगा और इतना सुनकर सोनिया चली गई अब सोनिया को यह लग रहा था कि मैं कैसे अपना बदला लूं l
और दूसरी तरफ दिनेश जिसमें सोनिया की चुगली की थी वह भी सोनिया से बचता फिर रहा था कभी तांत्रिकों के धागे और कभी पंडितों से मिलता था और उनसे कहता था कि एक चुड़ैल मेरे पीछे पड़ी हुई है जो कि मुझे मारने के लिए मौका ढूंढ रही है उससे बचने का कोई उपाय मुझे बताएं और वह रात मैं उस कॉलोनी के पास भी नहीं जाया करता था वह अपने मां-बाप से बोलता था कि मैं यहां पर नहीं रह पाऊंगा यहां पर मुझे डर लगता है और उसके मां बाप कहते थे बेटा हम भी तो यही रह रहे हैं हमें तो कोई कुछ नहीं कहता तो दिनेश बोलता कि नहीं मैं फिर भी रात में यहां पर नहीं रह पाऊंगा मैं बस दिन दिन में आया करूंगा
1 दिन सोनू दोपहर के समय अकेला बरगद के पेड़ के नीचे खड़ा होकर कुछ सोच रहा था उसी दौरान वहां पर रवि आ गया रवि को देखकर सोनू बोला कि तू ही है वह जिसने मेरे हाथों से मेरी बहन को मरवा दिया रवि बोला कि मैं तुम्हारी बहन से बहुत प्यार करता था पर मैं उससे शादी करना चाहता था पर वह हमेशा कहती थी कि भैया नहीं मानेंगे और भैया मुझे मार देंगे और तुमने ऐसा ही किया तुम्हें ऐसा नहीं करना था सोनू बोला की यदि कोई भाई अपनी बहन को इस अवस्था में देख ले तो उसे गुस्सा ही आता है रवि बोला यदि तुम्हें पता था सोनिया मेरे पास आई है तो तुम्हें उससे आप बाद में पूछना था कि तुम वहां क्या करने गए थे.
पर तुम डायरेक्ट मेरे घर में आए मेरा दरवाजा तोड़ा और तुम उसे मारते पीटते घर लेकर गए परंतु यह बात तो किसी को भी नहीं पता थी तुमको किसने बताई
सोनू बोला मुझे मेरे दोस्त ने बताया था रवि ने कहा मेरे और सोनिया के प्यार के बारे में किसी तीसरे को कुछ नहीं पता था फिर अचानक रवि को याद आया कि दिनेश को सारी बातें पता थी इसका मतलब दिनेश नहीं तुमसे कहा वह जान पूछ कर चाहता था की सोनिया के साथ कुछ गलत हो क्योंकि एक बार दिनेश ने सोनिया के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी और सोनिया ने उसे धमका कर कहा था कि मैं अपने भैया से कह दूंगी और वह तुम्हें बहुत मारेगा पर वह अपनी चाल में कामयाब हो गया और उसने तुम्हारे हाथों ही उसे मरवा दिया सोनू बोला इसमें तुम्हारी भी गलती है अगर तुम्हें उससे प्यार था तो तुम्हें मुझसे आकर मिलना था और मैं उससे उसका हाथ मांगना था इतना कहकर सोनू चला गया इधर दिनेश का आज जन्मदिन था और वह घरवालों के बहुत मनाने पर शाम के समय घर पर आने वाला था और यह बात रवि को भी पता थी पर रवि चाहता था कि जो हो गया वह किसी और के साथ ना हो इसलिए वह रास्ते में ही जाकर दिनेश से मिला और उसे मना किया कि तुम कॉलोनी में रात के समय मत जाओ वरना तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है दिनेश बोला ऐसे खतरे तो मैं रोज देखता हूं फिर वह कॉलोनी में चला गया और उसके घर में जन्मदिन की तैयारी चल रही थी उसके पिताजी केक लाए आस पास पड़ोस के लोगों को बुलाया जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया गया रात के 11:00 बज गए थे सब सोने जा रहे थे दिनेश भी अपने कमरे में जा रहा था उसके पिताजी ने कहा बेटा आराम से सोना डरने की कोई जरूरत नहीं है मैं डरता नहीं हूं और वह कमरे में चला गया 1 घंटे बाद कमरे से दिनेश को आवाज आई जन्मदिन मुबारक हो दिनेश आवाज सुनकर घबरा का उठा उसने चारों तरफ देखा तो कोई नहीं था पर जब है दोबारा लेटा तो उसे एहसास हुआ कि कोई मेरे बैंड पर मेरे साइड में लौटा हुआ है और वह अचानक उठ के बाहर भागने के लिए कूदा पर वह दरवाजे तक नहीं दरवाजे से पहले ही उसने एक साया देखा और जैसे ही वह उसकी तरफ आगे बढ़ा तो उसने देखा कि यह तो कोई भयानक जली हुई लड़की है
और वह जली हुई लड़की दिनेश को उसके जन्मदिन की बधाई दे रही थी दिनेश को यह देखकर विश्वास नहीं हुआ कि यह जली हुई लड़की मुझे जानती है अब दिनेश मन ही मन में सोच रहा था शायद यह वही है दिनेश इतना डर गया था क्यों कुछ बोल नहीं पा रहा था पर उसके दिमाग में एक बात चल रही थी यदि हम किसी आत्मा का नाम लेते हैं तो वह और बलशाली हो जाती है इसलिए वह डर की वजह से उसका नाम भी नहीं सोच रहा था और अगले ही पल वह सोच रहा था मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे कुछ पल के लिए इस आत्मा का ध्यान मुझ से हट जाए और मुझे बाहर निकलने का मौका मिल जाए क्योंकि दिनेश को कुछ ऐसा अंदाजा पहले ही था ऐसा भविष्य में कभी भी मेरे साथ हो सकता है इसलिए वह अपनी सुरक्षा के लिए एक मंत्रीत धागा और तांत्रिक के द्वारा दी गई भभूत अपने पास ही रखता था परंतु आज उसका बर्थडे था तो उसने जल्दबाजी में यह दोनों चीजें दूसरे कमरे में रख दी थी जहां पर उसने केक काटा था इसीलिए सोनिया की आत्मा उसके पास तक पहुंच गयी । अब सोनिया उसकी तरफ बढ़ने लगी थी दिनेश ने कहा तुम कौन हो और ऐसी हालत कैसे बनाई हुई है क्योंकि दिनेश उसका ध्यान भटकाना चाहता था इसलिए उसने ऐसा सवाल किया
पर आत्मा ने कहा तुम्हें कुछ जानने की जरूरत नहीं है मैं सिर्फ तेरी मौत हूं और तुझे कोई नहीं बचा पाएगा .
दिनेश ने कहा क्या रवि भी मुझे नहीं बचा पाएगा रवि का नाम सुनकर सोनिया को और तेज गुस्सा आ गया और उसने कहा कि तु अपनी इस गंदी जुबान से रवि का नाम मत ले तुने ही हम दोनों को जुदा किया था और इसका खामियाजा तुझे भुगतना पड़ेगा अब दिनेश समझ ही चुका था कि यह जो सामने आत्मा खड़ी है यह सोनिया की है दिनेश ने बहुत तेज चिल्लाना शुरू किया मुझे बचाओ मुझे बचाओ अगले ही पल आत्मा सामने से गायब हो गई और
दिनेश ने सोचा कि यह आत्मा शायद कहीं चली गई अब तुरंत दरवाजे की तरफ भागने की कोशिश की पर दिनेश ने ध्यान नहीं दिया कि सोनिया बिल्कुल उसके पीछे खड़ी थी जब वह दरवाजे की तरफ भागा तो सोनिया ने कहा अब तू कहीं भाग नहीं पाएगा और अगले ही पल आत्मा ने उसे बहुत जोर से धक्का दिया पर
दिनेश के चिल्लाने की आवाज पूरे घर में पहुंच गई थी उसके पापा और मम्मी बहुत तेज भाग कर आए देखा कि दिनेश जमीन पर पड़ा है और एक भयानक जली हुई लड़की दीवार पर लटकी हुई है उस लड़की को देख कर दिनेश के मां बाप घबरा गए पर दिनेश बोला पापा जल्दी दूसरे कमरे में मेरा धागा और भभूत रखी हुई है उसे लेकर आओ जल्दी
दिनेश के पापा दूसरे कमरे की तरफ भागे और आत्मा दिनेश के पापा को रोकने के लिए पीछे भागी और दूसरे कमरे तक पहुंचते-पहुंचते उनके पास तक पहुंच ही गई थी अचानक दिनेश के पापा ने देखा कि जहां पर केक काटा था वहां पर एक काला धागा रखा हुआ है और उसी के पास एक पननी में भभूत रखी हुई है उन्होंने तुरंत उसे टेबल पर से उठा लिया और वह भयानक आत्मा वहां से गायब हो गई अब सब कुछ शांत था उसके पापा दिनेश के कमरे में गए और उसको वह धागा पहनाया और बोले बेटा यह तो शायद वही आत्मा थी इसने तो सब का जीना हराम कर रखा है और अब सब शांत था पर
अब दिनेश ये सोच रहा था कि मै कैसे बचूं इस चुड़़ैल से और उधर आत्मा सोच रही थी कि मै कैसे अपना बदला लू पर वो कहते हैं ना किसी को दुनिया में मुकम्मल जहां नहीं मिलता किसी को जमी नहीं मिलती तो किसी को आसमां नहीं मिलता
इसी दर्द में सोनिया दरबदर भटकती रही थी और उसने कई लोगों को परेशान किया आज सोनिया ने रवि के गांव से आए एक चचेरे भाई को अपने वश में कर लिया अब सोनिया यह चाहती थी की रवि का चचेरा भाई कैसे भी करके दिनेश को लेकर आए और उसके गले से उसका धागा और वह भभूत दूर कर दे परंतु अभी तक एक बात किसी को नहीं पता थी
की रवि के चचेरे भाई अमित के ऊपर कोई चुड़़ैल का साया है क्योंकि सोनिया किसी के सामने अपने आप को अमित के ऊपर नहीं दर्शाती थी जब अमित रात में होता था तो वह उसे परेशान करती थी, डराती थी , अमित से कहती थी अगर तुम किसी को बताओगे तो मैं तुम्हें मार दूंगी उसने अमित से एक सौदा किया कि तुम दिनेश को मेरे पास लाओ वो भी बिना मंत्रित धागे के जो उसके हाथ में बंधा हुआ है और उसकी जेब में जो भभूत रखी है उसके बिना मेरे पास लाओ तो मैं तुम्हें जिंदा छोड़ दूंगी .
पर अमित यही सोच रहा था कि अगर मैं दिनेश को यहां पर लाया तो यह उसे मार देगी और मुझे भी नहीं छोड़ेगी पर उसे यह पता था कि दिन के समय यह मुझ पर अपना कोई भी प्रभाव नहीं दिखाती है
उसी कॉलोनी में एक ताहिर नाम का व्यक्ति भी रहता था जो भूत, प्रेत, जिन्न, आदि बाधाओं को झाड़ने में और उनसे दूर बनाए रखने में बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली था परंतु ताहिर जी अपनी इस शक्ति को किसी के सामने नहीं दर्शाते थे कुछ गिने चुने आदमी थे जिनको उनके बारे में पता था अमित को भी यह बात जब पता लगी जब
एक दिन एक परिवार बहुत परेशान था उस परिवार मे दो लड़के थे और उनकी माता का ऑपरेशन हुआ था और उन्होंने अपने गांव से अपनी भाभी को घर के कामकाज के लिए बुलाया था जब तक उनकी माता ठीक नहीं हो जाती परंतु जब उनकी भाभी गांव से आई आने के 1 दिन बाद ही शाम के समय वह बेहोश हो जाती थी और उनके चेहरे पर हरी हरी लाइने बन जाती थी और दांत बंद हो जाते थे हाथों की हथेली बंद हो जाती थी तब वह परिवार ताहिर जी को बुलाकर उनसे उस भूत बाधा को दूर करवाता था और ताहिर यही कहते थे कि यह बात किसी को आप बताइएगा मत मैं इन्हें ठीक कर देता हूँ और ताहिर उन्हें ठीक कर देते थे परंतु एक दिन शाम के समय शाम के समय घर पर कोई नहीं था बस केवल भाभी थी अचानक उनके चीखने की आवाज उनकी पूरी गली में फैलने लगी परंतु किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उस घर में जाए क्योंकि उनका परिवार आज डॉक्टर के यहां पर गया हुआ था दूर से एंबुलेंस की आवाज आई और वह परिवार डॉक्टर के यहां से लौट रहा था उन्होंने देखा कि उनके घर के बाहर भीड़ लगी हुई है और अंदर से आवाज आ रही हैं परंतु कोई भी डर की वजह से अंदर नहीं जा रहा है इतने में परिवार के दोनो लड़के और लड़कों के पिताजी उतर कर घर की तरफ भागे और अंदर घुस कर देखा तो वहां पर उनकी भाभी की लाश पड़ी हुई थी और उनके मुंह पर और गले पर बहुत गहरे गहरे नाखूनों के निशान थे जो कि किसी इंसान के नहीं थे पोस्टमार्टम कराया गया तो पता लगा कि यह नाखून किसी इंसान के नहीं है अब लोग बहुत घबरा गए थे इस हादसे को देखकर दिनेश के पैरों तले जमीन खिसक गई और अमित ने सोचा कि मैं भी यहां से भाग जाता हूं वरना वह मुझे मार डालेगी
पर किस्मत को यह मंजूर नहीं था कि अमित वहां से चला जाए अमित अगले दिन सुबह बैग पैक कर कर घर से निकल ही रहा था रास्ते में उस बरगद के पेड़ के नीचे पहुंचकर अमित को लगा कि कोई मुझे ऊपर से देख रहा है अमित और तेज चलने लगा अमित को ऐसा लगा कि कोई मेरे पास आ रहा है अमित ने घबराकर ऊपर देखा तो उसके सर के ऊपर सोनिया की आत्मा लटकी हुई थी और सोनिया की आत्मा ने कहा अगर तूने एक भी कदम आगे बढ़ाया तो तेरा वो कदम इस दुनिया का आखरी कदम होगा और तू कभी वापिस नहीं आ पाएगा . इतना सुनकर अमित वापस हो गया और घर में जाकर रोने लगा पर यह बात वह किसी से नहीं बता सकता था कि सोनिया ने उसको सजा दी थी अगर तुम यह बात किसी को बताओगे तो मैं उस व्यक्ति को भी मार दूंगी जिसको तुम बताओगे और तुम्हें तो मार ही दूंगी
अमित ने फैसला किया कि मैं दिनेश को उसके पास लाकर ही जाऊँगा और उसकी गलती की सजा उसे जरूर मिलेगी
पर देखा जाये तो वास्तव में गलती रवि और सोनिया की ही थी शादी से पहले ऐसे कार्य करना जो अपने मां-बाप को परिवार को नीचा दिखाता है और पूरे समाज में परिवार की इज्जत नीलाम करा देता हो वह बहुत गलत है पर रवि और सोनिया को इस बात मे कोई भी बुराई नजर नहीं आती क्योंकि वह समाज की और दुनिया की नजरों से नहीं सोच रहे थे वह वह तो बस अपनी नजरों से देख रहे थे
रवि भी सारे सारे दिन सोनिया के गम में रोता रहता था और नौकरी पर भी कभी-कभी जाता था
आज अमित दिनेश को सोनिया के पास लाने वाला था इसलिए उसने सोनिया को उसी बरगद के पेड़ के नीचे बुलाया था आज रात सही 1:00 बजे दिनेश उसी जगह आने वाला था जहां से खींच कर सोनिया का भाई सोनी उसे लेकर गया था और आज रात 1:00 बजे वो दिन आने वाला था जब सोनिया और रवि का मिलन होने वाला था और दूसरी तरफ अमित अपने परिवार और अपने आप को मुसीबत से दूर करने वाला था
पर जब अकेले में अमित सोनिया से बात कर रहा था तो एक लड़का जिसकी भाभी को अभी कुछ दिन पहले सोनिया ने मार दिया था दिनेश की बातें सुन रहा था और वह तुरंत घर गया और अपनी मम्मी को यह बात बताई उसकी मम्मी ने कहा मैं यह बात तुम्हारे पापा को बताऊंगी जब तुम्हारे पापा शाम को अपनी नौकरी से आ जाएंगे परंतु आज दिनेश का दिन बहुत ही खराब था इसलिए उस लड़के के पापा आज ओवरटाइम पर ही रुके थे और धीरे-धीरे शाम होती जा रही थी अमित जाकर दिनेश से मिला और उसने दिनेश से बात की और उसने कहा दिनेश यदि तुम उस आत्मा से जिंदगी भर भागते रहे तो वह तुम्हें कहीं भी नहीं छोड़ेगी तुम्हें उसका सामना करना पड़ेगा
दिनेश ने कहा कौन सी आत्मा, अमित ने कहा मैं इस बारे में सब जानता हूं और मैं भी उसी आत्मा का शिकार हूं जो तुम्हें परेशान कर रही है, दिनेश ने कहा तुम ये क्या कह रहे हो, अमित ने कहा हाँ मैं सही कह रहा हूँ. वरना मुझे यह सब कैसे पता होता दिनेश सहम गया और दिनेश ने कहा तो बताओ अब क्या करें
अमित ने कहा हम आज रात 1:00 बजे बरगद के नीचे मिलेंगे दिनेश को डर लगा दिनेश ने कहा नहीं नहीं 1:00 बजे नहीं मिल पाऊंगा फिर अमित ने कहा या तो डर जाओ पूरी जिंदगी भागते रहो या एक बार उस आत्मा का सामना करो,
दिनेश को अमित की बातों में कुछ दम लगा और उसने अमित को कहा ठीक है मैं तुम्हें रात में जरूर मिलूंगा परंतु, अमित सोच रहा था कि मैं दिनेश को धोखा नहीं दे सकता और दिनेश सोच रहा था की अब हम दोनों मिलकर उस आत्मा का सामना करेंगे
धीरे धीरे चंद्रमा का साया पूरी दुनिया पर फैलने लगा और आज बोहोत ही अंधेरी रात थी .
अब रात के 12:30 बज चुके थे अमित, दिनेश को बुलाने गया दिनेश के पापा ने कहा, दिनेश तो सो रहा है अमित वहां से लौटने लगा तो उसने उपर से देखा, दिनेश अपने घर की खिड़की से ऊपर चढ़कर बाहर आ रहा था और उसने कहा कि कुछ मत बोलना क्योंकि मैंने बहाना मारा है मैं सो रहा हूं , अमित बोला ठीक है चलो अब चलते हैं
उधर दूसरी तरफ उस लड़के के पापा ड्यूटी से घर लौट रहे थे जिस की भाभी को अभी कुछ दिन पहले आत्मा ने मार दिया था जैसे ही वह अपनी नौकरी से घर पहुंचे तुरंत पत्नी ने उन्हें यह बात बताई और वो भागते भागते दिनेश के घर गए और दिनेश के पापा को यह बात बताई, दिनेश के पापा ने कहा दिनेश तो घर पर ही सो रहा है और वह कहीं नहीं जाएगा उस व्यक्ति ने कहा आप एक बार देख लो आपका लड़का घर पर ही है ना दिनेश के पापा ने कहा हां है चलिए मैं देखता हूं दोनों दिनेश के कमरे में गए देखा तो दिनेश वहां पर नहीं था और उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई, दिनेश के पापा भाग कर बरगद की तरफ जाने लगे पर उस व्यक्ति ने कहा कि आप सबसे पहले मेरे साथ चलो मैं आपके बच्चे को बचा सकता हूं तो दिनेश के पापा ने कहा बताइए क्या करना है उसने कहा आप मेरे साथ ताहिर के घर चलो दोनों भाग कर ताहिर के घर पहुंचे और ताहिर से सारी बात बताई ताहिर ने कहा बताइए मैं क्या कर सकता हूं , आप मेरे बच्चे की जान बचा लीजिए क्योंकि आस पास कोई कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो कि मेरे बच्चे को बचा पाए , ताहिर एक बहुत सुलझा हुआ और बहुत ही समझदार आदमी था। उसे पता था कि मैं रात के समय सोनिया की आत्मा से अकेले नहीं लड़ सकता तो उसने उस व्यक्ति को दूसरी कॉलोनी में भेजा जहां पर एक पंडित जी थे जो हनुमान जी के भक्त थे और ताहिर, दिनेश के पापा को अपने साथ ले गये
और उस व्यक्ति से कहा कि आप जल्दी जाकर उन पंडित जी को लेकर आओ दूसरी तरफ दिनेश और अमित बरगद के नीचे पहुंच चुके थे .
बरगद के नीचे पहुंचकर अमित को एक धक्का लगा और अमित बेहोश हो गया और अब दिनेश वहां पर बचा हुआ था चारों तरफ देखने लगा और अमित को भी देखने लगा कि अमित बेहोश हो गया उसने अमित को बहुत जगाने की कोशिश की अमित नहीं जगा और बार-बार बरगद के ऊपर से पेड़ के हिलने की आवाज आ रही थी आवाज जोर से होती जा रही थी दिनेश का कलेजा मुंह में आ गया पर उसके पास भभूत और वह धागा था
उसने भभूत निकालकर डर की वजह से पेड़ के ऊपर फेंकी परंतु कुछ नहीं हुआ थोड़ी देर बाद पेड़ और जोर-जोर से हिलने लगा और जैसे ही उसने हाथ नीचे करें नीचे से उसके हाथ किसी ने पकड़ लिए उसने डर के अचानक नीचे देखा और पाया कि अमित ने उसके हाथ पकड़े हुए हैं और अमित को कोई होश नहीं है पर उसने दिनेश के हाथ पकड़े हुए हैं अमित के हाथों से वह धागा टूट गया जो दिनेश के हाथों में था अब सोनिया की आत्मा को बहुत सुकून मिला उसने सोचा कि अब मैं अपना बदला बहुत आराम से लूंगी अगले ही पल दिनेश हवा में था और सोनिया की आत्मा कह रही थी कि तू तब मुझे नहीं पहचान रहा था , आज नजदीक से देख और मुझे पहचान तू तो मुझसे प्यार कर रहा था ना ले मुझे पहचान में कौन हुँ
जैसे ही दिनेश के पास जो चेहरा आया दिनेश उसे देख कर बेहोश हो गया और उसने अब डर की वजह से अपने कपड़े भी गीले कर दिए क्योंकि वो जो चेहरा था इतना भयानक था की अच्छे से अच्छे इंसान को हिला कर रख दे उस चेहरे पर जले जले हुए फोड़े फुंसी और खाल उतरी हुई इस तरीके का चेहरा था उधर ताहिर उसके पापा को लेकर बरगद के नीचे पहुंच रहा था
जब तक ताहिर और दिनेश के पापा बरगद के नीचे पहुंचते तब तक दिनेश वहां से गायब हो चुका था उन्होंने पूरी कॉलोनी में दिनेश को ढूंढा क्योंकि दिनेश बेहोश था इसलिए दिनेश को दोनों की आवाज नहीं सुनाई पड़ी पर थोड़ी देर बाद दिनेश को होश आया तो उसने अपने आप को एक बिल्डिंग की छत पर पाया और उसने वहां से देखा की सोनिया की आत्मा हवा में खड़ी थी उसे देख कर वह बहुत ही ज्यादा घबरा गया बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ सोनिया ने उसे उंगली दिखाई और कहा आज कितना भी बुला ले ना तो तेरा बाप आएगा ना तेरी मां आएगी और तुझे कोई भी बचा नहीं पाएगा परंतु इसकी आवाज ताहिर और उसके पिताजी ने सुन ली थी और जो दूसरा व्यक्ति था वह हनुमान भक्त ब्रह्मचारी पंडित जी को लेकर पहुंच ही गया था चारों उस बिल्डिंग की तरफ भागे और बिल्डिंग की तरफ भागते भागते दिनेश के पापा ने देखा कि उनका बेटा बिल्डिंग की मोंमटी पर खड़ा था और एक टक नीचे की तरफ देख रहा था दिनेश में और दिनेश की मौत में बस एक कदम का फासला था उसके पापा नीचे से चिल्ला रहे थे साहिर पंडित जी और तीसरा व्यक्ति उनके साथ था वह बिल्डिंग पर पहुंची गए थे सोनिया की आत्मा ने देखा की कोई ऊपर आ रहा है आत्मा ने उनको चेताया की वहीं रुक जाओ मै तुम सब को मार दूँगी, यह बदला मेरा है मैं फिर यहां से चली जाऊंगी और किसी को कुछ नहीं कहूंगी इतने में वह व्यक्ति बोला तू झूठी है चुड़ैल तूने उस औरत को भी मार दिया जिससे तेरा कोई वास्ता नहीं था आत्मा ने कहा कि उसने मुझे बहुत उल्टा सीधा कहा और मुझे यह बात अच्छी नहीं लगी इसलिए मैंने उसे मार दिया उस आदमी ने कहा जब तू ने उसे मार दिया तो तेरा क्या भरोसा तू इसे मारने के बाद जाएगी या नहीं इस बात पर आत्मा को गुस्सा आ गया और उसने उस व्यक्ति को जादुई शक्ति से हवा में उड़ा कर दूर फेंक दिया और वह व्यक्ति जमीन पर जा गिरा, बेहोश हो गया इधर ताहिर बोला तू इस लड़के को छोड़ दे और मैं तुझे छोड़ दूंगा आत्मा बोली आज तो ऐसा नहीं हो पाएगा ताहिर मुझे लगता है तेरा भी आखिरी दिन हो गया ताहिर ने कहा इतना प्रतिशोध अच्छा नहीं है सोनिया गलती तो तूने और रवि ने की थी तूने ना अपने परिवार के बारे में सोचा मैं उसकी इज्जत के बारे में अगर तुम दोनों को प्यार था तो तुम्हें शादी करनी चाहिए थी शादी करके कुछ भी करते दुनिया तुम्हें कुछ नहीं कहती यहां तक कि तुम्हारा भाई भी तुम्हें कुछ नहीं कहता और तूने बिना शादी करे सारे गलत काम किये और इसकी सजा तूम दिनेश को दे रही हो दिनेश ने कुछ भी नहीं किया मारा तो तुझे तेरे भाई ने था तो दिनेश को क्यों मार रही है
आत्मा हमारे बारे मे किसी को नहीं पता था सिर्फ दिनेश को ही पता था और दशहरे वाले दिन किसी को नहीं पता था कि मैं रवि के घर थी यह बात मेरे भाई को दिनेश ने बताई
” क्यों दिनेश मैंने सही कहा ना ”
बिल्कुल सोनिया मुझे से गलती हो गई थी
पर तुम्हारे भाई को मैने ये नहीं कहा था कि वो तुम्हें मार दे सोनिया बोली चुप हो जा दिनेश अब तेरा आखरी वक्त आ गया है जैसे ही सोनिया ने दिनेश को धक्का मारने की कोशिश की उन दोनों के बीच में ताहिर आ गया और ताहिर को थोड़ी चोट लग गई
परंतु हनुमान भक्त पंडित जी को लगा कि सोनिया बहुत शक्तिशाली है इसलिए ताहिर उसका सामना नहीं कर पाएगा तो पंडित जी ने हाथों में थोड़ा सा जल लेकर हनुमान जी का एक मंत्र पढ़ा और सोने को ऊपर मार दिया सोनिया थोड़ी जलने लगी और पीछे हो गई पंडित जी बोले सोनिया अगर तू दिनेश को मार कर यहां से चली जाएगी तो रवि का क्या होगा सोनिया बोली कि मैं तो रवि को भी अपने साथ ले जाऊंगी क्योंकि हम दोनों जन्म जन्मांतर एक ही साथ रहेंगे पंडित जी और तब दोनों समझ गए थे कि दिनेश की ही नहीं रवि की जान भी खतरे में थी उन्होंने सोनिया को कहा कि रवि तो तुझसे प्यार करता है तो उसकी जान क्यों लेना चाहते हैं तो सोनिया ने कहा रवि भी मेरे साथ आना चाहता है क्योंकि वह मुझसे प्यार करता है इधर पंडित जी ने ताहिर को इशारा किया कि तुम रवि को ले आओ मैं इसे अपनी बातों में उलझाता जाता हूं ताहिर चुपचाप वहां से निकल गया और रवि के पास पहुंचा और उसको जैसे तैसे करके वहां पर लाया रास्ते में ताहिर में रवि को सारी बातें बता दी और समझाया था
इधर पंडित जी सोनिया को समझा रहे थे और उधर रवि बिल्डिंग पर आ गया और रवि ने आते ही सोनिया से कहा सोनिया तुम दिनेश को छोड़ दो इसमें दिनेश की कोई गलती नहीं थी इसमें हम दोनों की गलती थी हमने गलत किया पर
अब सोनिया एक बहुत ही भयानक आत्मा बन चुकी थी इसलिए वह रवि को भी कुछ नहीं समझ रही थी उसने सभी को कहा तुम बीच में से हट जाओ मैं पहले दिनेश को उसके किए का दंड दे दूं परंतु रवि बीच में से नहीं हटा सोनिया ने कहा कि हट जाओ मेरे रास्ते से वरना वरना क्या सोनिया तुम मुझे भी मार दोगी रवि और सोनिया आपस में बात कर रहे थे उधर पीछे से पंडित जी ने सोनिया को मंत्र मार कर जकड़ लिया और रवि को कहां दिनेश को नीचे उतार लो
रवि ने दिनेश को नीचे उतारा और ताहिर ने दिनेश और रवि को कहा कि तुम दोनों जल्द से जल्द नीचे पहुंच जाओ और यहां से निकल जाओ उधर सोनिया बहुत ही गुस्से में थी अब सोनिया रवि को और दिनेश को दोनों को मारने की इच्छुक थी वह दिनेश से अपना बदला लेना चाह रही थी और रवि को हमेशा अपने साथ रखना चाह रही थी परंतु दोनों ही अवस्था में दोनों को मारना आवश्यक था इसलिए अब सोनिया उग्र होती जा रही थी और पंडित जी मंत्रों से सोनिया को पकड़ रहे थे परंतु सोनिया बहुत ज्यादा उग्र हो रही थी इधर ताहिर भी कुछ मंत्र मार कर सोनिया को जकड़ रहा था दोनों ने एक सलाम मिलाई उन्होंने कहा कि हमे अगर रवि, दिनेश और इस कॉलोनी वालों को बचाना है तो हमें सोनिया को यहां से ले जाना होगा सोनिया के कानों में आवाज गई वह और उग्र हो गई और उसने रोने का बहाना बनाया और बहुत जोर जोर से रोने लगी पंडित जी और ताहिर दोनों ने पूछा सोनिया क्या हुआ सोनिया बोली कि मैंने बहुत बड़ी गलती की मैंने लोगों को बहुत परेशान किया अब मैं किसी को भी परेशान नहीं करूंगी और मैं यहां से चली जाऊंगी मैं वादा करती हूं तुम मुझे छोड़ दो और मैं यहां से जा रही हूं पंडित जी और ताहिर ने कहा नहीं हमें तुम पर विश्वास नहीं है और वह सोनिया को पकड़ कर रात ही रात में ऐसी जगह छोड़ कर आए जहां पर आज भी कोई नहीं जाता और उस जगह को मंत्रों से बांध दिया गया पर उस जगह पर जाने का जोखिम आज भी कोई नहीं उठाता
आज इस बात को 30 साल हो गए हैं और उस कॉलोनी में अब सन्नाटा रहता है
उस समय वहाँ लोग उस आत्मा का नाम लेने तक से डरते थे और आज वहां से सब ज्यादा तर लोग वहाँ रिटायर हो गये हैं और उस हादसे के बाद रवि और दिनेश यह शहर छोड़ कर कहीं और चले गए उनके पिताजी रिटायर हो गए हैं
और आज भी जो 1 या 2 लोग जो पुराने है वहाँ सब जानते हैं पर आज भी उसका नाम नहीं लेते.
कहानी पूरी करने के लिए धनयबाद।
सच में बहुत ही ज़्यादा रोमांचित करने बाली कहानी थी।
बहुत ज़्यादा रोमांचक कहानी है इसको पढ़ कर सच में ऐसा लगता है जैसे हम इसको वास्तविकता में महसूस कर रहें है। क्रपया करके हमें इसका पूरा व्रतांत सुनाएँ। धन्यवाद!