
RBI Needs To Fix These 5 Issues Before Launching CBDC Digital Rupee

1. क्रिप्टो करेंसी में ट्रांजैक्शन को वैलिडेट करने के लिए कंप्यूटर द्वारा एक जटिल मैथमेटिक्स एल्गोरिथ्म सॉल्व करनी होती है. आरबीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस एल्गोरिथ्म को किस प्रकार से वेरीफाई किया जाएगा.
क्या यहां पर पावर ऑफ अथॉरिटी के माध्यम से ट्रांजैक्शन को वेरीफाई किया जाएगा या फिर किसी अन्य तरीके से यह स्पष्ट करना जरूरी है.
2. सीबीडीसी को आरबीआई के द्वारा लांच किया जा रहा है लेकिन यह वास्तव में डिजिटल करेंसी है जिसको पूर्ण रूप से अज्ञात तरीके से चलाया जाता है.
तो यहां पर कितनी गुप्त ता रखी जाएगी इसके बारे में भी आरबीआई को बहुत सारी चीजें स्पष्ट करनी होंगी. क्या ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के द्वारा ब्लॉकचेन में ही केवाईसी डॉक्यूमेंट को स्टोर किया जाता है यदि ऐसा संभव है तो फिर हम जैसे भी पेमेंट करेंगे या फिर हम जिससे भी पेमेंट रिसीव करेंगे दोनों के बारे में उनकी जानकारी ले सकते हैं.
कुछ हद तक यहां पर प्राइवेसी लीक होने का खतरा बढ़ जाता है इसी आधार पर हम कह रहे हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को यह सुनिश्चित करना होगा किसी व्यक्ति के द्वारा भी किसी की प्राइवेट इंफॉर्मेशन को या पर्सनल इंफॉर्मेशन को चुराया ना जा सके.
प्राइवेसी भी कुछ चीज होती है जिसका रिजर्व बैंक को बहुत ध्यान रखना चाहिए.
3. अभी कुछ दिन पहले ही बाइनेंस जैसी बड़ी कृपया करंसी एक्सचेंज में ब्लॉकचेन को हैक करके चोरी की गई है बिटकॉइन की ब्लॉकचेन को भी कई बार हैक किया गया है जिससे हमें बिटकॉइन कैश जैसे अलग-अलग कोई मिले हैं.
यहां पर सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के संबंध संदर्भ में किस प्रकार से साइबर सिक्योरिटी का ध्यान रखा जाएगा इस बारे में भी रिजर्व बैंक को खुलकर चीजें बताना चाहिए.
सीडीसी कितनी सुरक्षित है क्योंकि किसी भी ब्लॉक शाम को तब सुरक्षित समझा जाता है जब ज्यादा से ज्यादा ब्लॉक्स बन जाए लेकिन सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी में एक लिमिटेड ब्लॉक के द्वारा ही ब्लॉक चला जाएगा इस बात को स्पष्ट करें या फिर कुछ सुझाव देना जरूरी है.
4. हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग जिस टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल कर रहे हैं उस टेक्नोलॉजी को छोड़कर दूसरी टेक्नोलॉजी में जाना एक बड़ा चैलेंज बन जाता है.
हमने ऐसी भी व्यक्तियों को देखा है जो बैंक से पैसा निकालने के लिए आज भी विड्रोल फॉर्म भरते हैं जबकि बैंक के द्वारा उनको एटीएम कार्ड से चेक बुक दोनों दी गई है.
उन लोगों का यह मानना है कि यदि हम चेक का या एटीएम कार्ड का या नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करेंगे तो वहां पर हमारे साथ धोखा हो सकता है.
या फिर किसी गलती के कारण हमारा फंड किसी दूसरे के अकाउंट में ट्रांसफर हो सकता है. इसे हम उनकी सतर्कता कहते हैं ऐसी स्थिति में लोगों को एक माइंडसेट से दूसरे माइंडसेट पर ले जाना काफी बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य रहेगा.
5. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को बिना किसी बैंक का अकाउंट के मोबाइल के एक बैलट्स इस्तेमाल किया जा सकता है. बिना किसी बैंक के बैंकिंग सिस्टम को इस्तेमाल करना टेक्नोलॉजी की दक्षता है.
ऐसी टेक्नोलॉजी को कॉल करने के लिए लोगों को भी उस काबिल होना बहुत जरूरी है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किस तरीके से है लोगों को इस टेक्नोलॉजी के बारे में समझाएंगे या उनकी ट्रेनिंग प्रोग्राम करेंगे.


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