दोस्तों आज हम आपको अयस्क के सान्द्रण की जानकारी देंगे।
अयस्क के सान्द्रण की विधि
ये सभी इस प्रकार है।
१। फेन प्लवन विधि
इस विधि के नाम से ही पता चलता है की यह किस प्रकार की बिधि है इस विधि को झाग विधि के नाम से भी जाना जाता है इस विधि में सल्फाइड अयस्को का सान्द्रण किया जाता है
इस विधि में हम एक बड़ा लोहे का टैंक लेते है और फिर उस टैंक को जल से भर लेते है और फिर सल्फाइड अयस्को को बारीक़ पिस लेते है और जल से भरे हुए टैंक में ढाल देते है
अब इस जल से भरे टैंक में कुछ मात्रा में चिड का तेल ढाल देते है और फिर इसमे वायु की तेज धारा प्रवाहित करते है वायु की तेज धारा प्रवाहित करने से जिससे उसमे पड़े सल्फाइड के तेल में भीग जाते है और फिर झाग के रूप में टैंक की उपरी सतह पर झाग के रूप में एकत्रित हो जाते है
पर जो अशुध्दीया टैंक की तली पर शेष रह जाती है और फिर झाग को सुखाकर शुद्ध अयस्क को प्राप्त कर लेते है और यह विधि फेन प्लवन या झाग विधि कहलाती है
चुम्बकीय पृथक्करण विधि
यह विधि पदार्थों के चुम्बकीय गुणों पर आधारित है लोह चुम्बकीय अयस्क का सान्द्रण किया जाता है |
इस विधि में दो बड़े बड़े चुम्बकीय रोलर होते है और उन रोलरो को इस प्रकार लगाया जाता है की उन्हें हाथ या किसी अन्य वाह्य बल से घुमाया जा सके.
अब इन दोनों रोलरो के ऊपर एक वेल्ड या फिर कोइ पट्टा चढ़ा देते है और फिर अयस्क को बरीक पिस लेते है बारीक़ पिसे हुए अयस्क को हापर की सहायता से घुमते हुए रोलर की ऊपरी सिरे पर डालते है
जिसे ही पिसा हुआ अयस्क रोलर के समीप आता है तो उसमे उपस्थित चुम्बकीय पदार्थ रोलर के समीप एकत्रित हो जाता है और अशुध्दिया कुछ दूर जाकर गिरती है और इस विधि से हमे शुध्द अयस्क प्राप्त होता है |