भारत में महिलाओं की स्थिति

भारत में महिलाओं की स्थिति

2016-17 में वित्तमंत्री ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” जो कि बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विभाग की संयुक्त पहल थी।

स्वास्थ्य सुरक्षा योजना

इसी तरह स्वास्थ्य सुरक्षा योजना इसमें प्रति परिवार को एक लाख रुपए तक की सुरक्षा दी जाएगी। अप्रत्यक्ष तौर पर महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने की में अग्रणी भूमिका निभाएगी।

इन सभी योजनाओं के तहत भारत में चल रही एकत्रित बाल विकास योजना के तहत 6 साल तक की आयु के सभी  बच्चे आते हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना है।

इन सभी योजनाओं के बावजूद अगर महिलाओं की स्थिति का आकलन करें तो जनसंख्या करीब 48% है। लेकिन रोजगार में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 26% है। यहां तक केरल राज्य महिलाओं की  शिक्षा के अनुपात में अग्रणी राज्य होने के बावजूद महिलाओं के साथ आपराधिक मामले सबसे ज्यादा होते हैं।

महिलाओं के क़ानून

महिलाओं के हक में  अनेकों  कानून बनाए गए जैसे कि 1961 में बनाया गया दहेज विरोधी कानून। 2005 का घरेलू हिंसा कानून जिसके अंतर्गत भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत विवाह के 7 वर्ष के भीतर पत्नी उत्पीड़न से मृत्यु के मामले में आजीवन कारावास।

2019 में तीन तलाक कुप्रथा  को खत्म करके विधेयक को का निर्णय लिया गया।  जिसके उपरांत सर्वे के मुताबिक देश में 85% तलाक के मामले में कमी आई है।

इन सभी कानून जिसमें महिलाओं को अपने हक का अधिकार मिलता है। यह शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक समान रूप से लागू है। परंतु दुर्भाग्यवश आज भी ग्रामीण क्षेत्रों महिलाओं का मानसिक शोषण होता है।

महिलाओं की ना केवल कार्यबल में बल्कि विधायिका पुलिस और न्यायपालिका में गहन और अधिक सार्थक भागीदारी का मुद्दा एक जटिल किंतु एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

अतः कार्यक्रमों में संबंधित लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ाने हेतु प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता है। महिला की बहुपक्षीय आवश्यकता को पूरा करने वाले कार्यक्रम घटकों को प्रभावी रूप में  क्रियान्वित करके इसे प्राप्त किया जा सकता है।

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