वैवधानिक चेतावनी
कृप्या इस कहानी को रात मे ना पढ़े, कमजोर दिल वाले न पढ़ें, और यदि पढ़ते हैं तो अपनी जिम्मेदारी पर पढ़ें.
नमस्कार दोस्तों आज हम लाए हैं एक रोचक कहानी है
जोकि सच्ची घटना पर आधारित है परंतु इसके पात्र काल्पनिक है और जो इसकी घटनाएं हैं वह वास्तविक है क्योंकि इस वाक्य को कहानी का रूप दिया गया है तो इसमें थोड़ा रोमांच भी डाला गया है
चलते हैं अपनी कहानी की ओर और सुनते हैं कहानी
मुझे आज भी याद है हमारे रिश्तेदार यह बात आज भी बताते हैं और बताते बताते बहुत भयभीत हो जाते हैं क्योंकि बात पुराने समय की है जब लड़के लड़कियों की शादी बहुत जल्दी हो जाया करती थी लगभग 14 से 15 साल में शादी हो जाया करती थी
आज सरिता की उम्र लगभग 15 साल हो चुकी थी और सरिता के मां बाप सरिता के लिए लड़का ढूंढ रहे थे और सरिता की उमर धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी सरिता के पिताजी जयराम सिंह जगह जगह जाकर और दूर दूर के रिश्तेदारों से बात कर कर लड़का ढूँढवा रहे थे . पर कोई लड़का उनकी लड़की से शादी करने के लिए तैयार नहीं होता क्योंकि लड़की रंग रूप में अच्छी नहीं थी
अब लड़का ढूंढते ढूंढते सरिता की उम्र 17 साल हो गई थी और अब गाॅव वाले, आस पड़ोसी, रिश्तेदार, जयराम जी को ताना मारने लगे थे तुम्हारी लड़की की उम्र बहुत हो गई है अब उससे शादी कौन करेगा जय राम जी कहते थे मेरी लड़की की शादी होगी और अच्छे परिवार में होगी और मेरी लड़की बहुत खुश रहेगी.
पर कहते हैं कि जो किस्मत में होता है उसको कोई मिटा नहीं सकता और आज लगभग लड़की लड़का ढूंढते ढूंढते 4 साल हो गए थे सरिता के पिताजी लड़का ढूंढ ढूंढ के परेशान थे लेकिन आज सरिता के पिताजी एक लड़का देखने जा रहे थे उस लड़के की उम्र लगभग 27 साल थी जोकि सरिता से 10 साल बड़ा था आज सुबह सरिता के पिताजी घर से निकले रास्ते में मिठाई लेने के लिए रुके और उन्होंने वहां पर मिठाई और कुछ फल खरीदें क्योंकि आज जिस लड़के को देखने जा रहे थे उसे शादी होना लगभग तय हो गया था जो शादी करवाने वाले बिचोलिया थे उन्होंने जयराम जी को पहले ही कह दिया था कि आप की लड़की की शादी यहां पर पक्की हो जाएगी अब जयराम जी बड़ी ही खुशी से मिठाई और कल लेकर वहां से चल दिए जय राम जी के साथ उनके चचेरे भाई दयाराम जी थे दोनों भाई लड़के वालों के घर पहुंच गए उन्होंने देखा लड़के के घर काफी भीड़ थी और भीड़ का अंदाजा लग रहा था की आज सरिता की शादी तय हो जाएगी
अब जयराम और दयाराम दोनों भाई लड़के के घर पहुंचे और अंदर चले गए लड़के के घर उनके आदर सम्मान की तैयारी चल रही थी दयाराम और जयराम दोनों भाइयो का बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया गया और बहुत अच्छी खातिरदारी की जयराम जी दिल के सच्चे और साफ इंसान थे उन्होंने लड़के और लड़के की माताजी को बताया कि लड़की सांवली है
परंतु इस बार लड़के वालों ने कोई ऑब्जेक्शन नहीं उठा और उन्होंने कहा आपकी लड़की जैसी भी है वह हमें पसंद है और जयराम जी ने शगुन के तौर पर लड़के को रुपए 1051/- और लड़के की मां को रुपए 2100/- दिए और वहां से खुशी-खुशी लौट गए और उन्होंने अपने पंडित से मिलकर पीली चिट्ठी तैयार कराई अब शादी की तैयारी शुरू हो गई लड़के का एक छोटा भाई भी था जोकि पैरों से विकलांग था और वह पूरे गांव में हाथों के बल चल कर घूमता था. आज सरिता बहुत खुश थी क्योंकि उसकी शादी तय हो चुकी थी और शादी नजदीक आ गई थी जयराम जी ने पंडित जी को बुलाया और पूछा पंडित जी आगे हमारी लड़की खुश तो रहेगी.
पंडित जी ने अपना गणित लगाया और सोच विचार कर चुप हो गए जयराम जी ने उनसे दोबारा पूछा पंडित जी क्या सरिता उस घर में खुश रहेगी पंडित जी अपने गणित के द्वारा देख रहे थे कि आने वाला समय बहुत ही भयानक होने वाला है जिस से सरिता और सरिता का होने वाला परिवार बहुत ही खासा प्रभावित होगा और हो सकता है इस परिवार का नाश भी हो जाए पर पंडित जी ऐसी बात जयराम जी को बताना नहीं चाहते थे क्योंकि पिछले चार-पांच साल से वह लड़का तलाश रहे थे और जिस भी लड़के को देखकर आते थे वह इनकी लड़की को देखकर मना कर देता था इसलिए पंडित जी ने सोचा कुछ उपाय करके इन ग्रहों को शांत कर दिया जाएगा पंडित ने जयराम जी से कहा थोड़े बहुत कष्ट है जो कुछ यज्ञ हवन कथा करा कर ठीक हो जाएंगे आप चिंता मत करें आपकी लड़की वहां पर ठीक से रहेगी और
पंडित जी मन ही मन सोच रहे थे कि अगर थोड़ी सी भी विपदा आई तो जयराम जी मुझसे ही जवाब सवाल करेंगे और दूसरी तरफ पंडित जी सोच रहे थे यदि मैं कुछ भी गलत बात जयराम जी को बता देता हूं तो वह यह रिश्ता नहीं करेंगे और इसके बाद उनकी लड़की का रिश्ता से नहीं हो पाएगा
इसलिए पंडित जी ने जयराम जी को कुछ नहीं बताया. और अब जय राम जी ने शादी की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी थी जयराम जी ने शादी पर पैसा खर्च किया सभी को शादी का इंतजाम अच्छा लगा सरिता और मोहित दोनों की शादी धूमधाम से हुई कहीं भी ऐसा नहीं लग रहा था की शादी में कोई भी कमी है अब दुल्हन की विदाई होने वाली थी
पंडित जी ने सरिता को अकेले में बुलाया और कहा सरिता मेरी बात हमेशा ध्यान रखना अपने मन में किसी चीज का भी छल कपट मत लाना अगर किसी चीज का छल कपट लाओगे तो भविष्य में बहुत बुरे परिणाम तुम्हारे सामने आएंगे मेरी इस बात का हम हमेशा ध्यान रखना क्योंकि तुम बहुत अच्छे घर में जा रही हो और उनका परिवार जमीदारी से संपन्न है तो तुम एक चीज का ध्यान रखना तुम्हारा एक छोटा देवर भी है जो विकलांग है उसको अच्छे से ध्यान रखना पंडित जी को थोड़ी सविता की चिंता हो रही थी इसलिए सरिता को उन चीजों से सचेत होने के लिए कह रहे थे जिन चीजों से सरिता को नुकसान होने वाला था सविता ने कहा पंडित जी आप चिंता मत करो मैं कोई गलत कदम नहीं उठाऊंगी और मैं सभी को खुश रखूंगी अब सरिता की विदाई का वक्त आ गया था सविता अपने मां बाप के गले लग कर सिसक सिसक कर रो रही थी अब सरिता विदाई हो गई थी और वह मोहित के घर पहुंच गई थी
आज शादी के बाद सरिता का पहला दिन था गाँव की बोहोत सारी औरत और रिश्तेदार सरिता से मिलने आ रहे थे अब मन्दिर पूजन का वक्त हो गया था इसलिए सभी सरिता और मोहित को तैयार करके सभी मंदिर ले गए और वहां पर पूजा कराई और पूजा करने के बाद सरिता जैसे ही मंदिर मे जैसे जल से भरा लोटा लेकर उठी उसके हाथ से लोटा छूट गया और सारा जल बिखर गया ये वाक्या देख कर सभी के मन में एक अपशगुन का भाव आ रहा था परंतु मोहित की माताजी बोली कोई बात नहीं लोटा हाथ से फिसल गया होगा चलो बहू अब घर की तरफ चलते हैं और सब घर की तरफ चले गए परंतु एक औरत वहां पर खड़ी होकर बोलने लगी कि यह बहुत बड़ा अपशगुन है अब ना जाने अब इस घर में क्या होगा
आज सरिता और मोहित की सुहागरात का दिन था और मोहित अपने कमरे में आराम से लेटा हुआ था उधर मोहित की भाभियों ने सरिता को तैयार किया और मोहित के कमरे में छोड़ कर आ गई अब दोनों कमरे में अकेले थे और एक दूसरे से शर्मा रहे थे मोहित बोला क्या मैं आपको पसंद हूं उधर सरिता बोली हां आप मुझे पसंद हो जिस दिन आप मेरे घर बारात लेकर आए थे और मैंने आपको देखा था उसी दिन आप मेरे मन को भा गए थे उधर सरिता ने मुझसे पूछा आप मुझे पसंद करते हो सरिता के मन में विचार चल रहा था कि मैं तो काली हूं इसलिए शायद मोहित मुझे पसंद नहीं करेंगे पर मोहित बोले आप भी मुझे पसंद हो सरिता ने पूछा मैं तो इतनी काली हूं और आप ठीक सुंदर हो फिर आप मुझे कैसे पसंद कर रहे हो सरिता ने कहा अगर कोई जोर जबरदस्ती है तो आप मुझे सच्चाई बता सकते हैं मोहित जोर जोर से हंसने लगा और क्या नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं नहीं मां से कहा था कि आप मुझे पसंद की अब दोनों करीब आ गए और सुबह हो गई सुबह मोहित अपने काम पर चला गया और सरिता घर पर रही सरिता ने सारा कामकाज बहुत अच्छी तरह से संभाला और धीरे-धीरे लगभग सरिता की शादी को 6 साल गुजर चुके थे और मोहित के पिता भी चल बसे थे अब घर में उनकी माताजी,मोहित, सरिता और सोनू रह गये थे और मोहित और सरिता के दो लड़के थे.
अब मोहित का छोटा भाई सोनू भी शादी के लायक हो चुका था परंतु सोनू का आधा शरीर कार्य नहीं करता था इसलिए उसकी शादी कराना भी उचित नहीं था
पर सोनू मैं लालसा थी कि मैं भी शादी करूं आज लगभग सोनू 17 साल का हो गया था और उसका दिमाग गलत चीजों में ज्यादा चलता था क्योंकि वह शरीर से बेकार था इसलिए उसकी शादी नहीं हो सकती थी और उसमें बहुत सारी गलत आदतें आ गई थी एक दिन उसके दिमाग में एक खुराफात सूजी और उसने सोचो आज मैं शादी के लिए घरवालों को बनवा कर ही मानूंगा अब वह घर की छत पर चढ़ गया और कहने लगा कि मुझे भी शादी करनी है और यह बात है बहुत जोर जोर से करने लगा यह बात सुनकर उसके घर वाले परेशान हो गए और सोनू की माताजी ने कहा ठीक है बेटा तुम शादी करा देंगे आजा अब मरने की धमकी दे ही दी तो शादी करना जरूरी इसलिए माताजी ने बहुत गरीब घर की लड़की से सोनू की शादी करवाई
क्योंकि सोनू का आधा शरीर खराब था जैसी काम नहीं करता था इसलिए उसकी पत्नी ने तीन चार महीने तो जैसे तैसे करके निभाने परंतु से उसकी पत्नी सोनू के सोने के बड़े भाई मोहित पर गलत नजर डालने लगी मोहित जी उसके जाल में फस गया दोनों एक दूसरे से छुप छुप कर मिलते थे एक दिन यह बात मोहित की पत्नी ने देख ली और वह बहुत गुस्सा हो गई अब सोनू की पत्नी और मोहित की पत्नी दोनों के बीच बहुत लड़ाई हुई और सारा राज सबके सामने आ गया इस बात पर सोनू ने अपनी पत्नी को बहुत भला बुरा कहा और कहकर सो गया सोनू की पत्नी एक स्वार्थी औरत थी इसलिए उसे लगा सोनू तो किसी काम का नहीं है मुझे इस को रास्ते से हटाना होगा अब सोने की पत्नी सोच रही थी कि इसे मैं रास्ते से कैसे हटाउ इसी सोच विचार में करने में दो-तीन दिन बीत गए और उनके रिश्तेदारों में एक शादी आयी इसके लिए उन्हें 2 दिन के लिए बाहर जाना था, मोहित अपनी पत्नी सरिता अपनी माता जी के साथ शादी में चले गए सोनू और सोनू की पत्नी घर पर ही रहे अब सोनू की पत्नी की योजना के पूर्ण होने का समय आ गया था और उसने योजना बनाई थी की सोनू को रात के खाने में जहर देकर मार दूंगी अब उसके नजरिए से यह पल दूर नहीं था .
धीरे धीरे रात होती चली आ रही थी और रात में सारे गांव वासी सो चुके थे इसी शांति का फायदा उठाकर सोने की पत्नी ने आज बहुत ही अच्छा खाना बनाया था आज के खाने में खीर पूरी रायता रसगुल्ले बने थे यह खाना देखकर सोनू चोंक गया और बहुत खुश हो गया उसने कहा क्या बात है आज सूरज पश्चिम से कैसे निकला और आज तुम इतनी खुश कैसे हो सोनू की पत्नी ने कहा आज बहुत दिनों बाद हम घर में अकेले हैं तुम जल्दी खाना खा लो सोनू बेचारा उसकी चाल समझ नहीं पाया अब सोनू बहुत जल्दी जल्दी खाना खाने लगा सोनू का खाना खत्म हो ही गया था और उसने खाने के बाद पानी पी लिया पानी पीते ही उसके पेट में बहुत तेज दर्द होने लगा और सोनू की पत्नी यह देख कर खुश हो गयी, और उसने देखा की सोनू के पेट में दर्द हो रहा है और वह धीरे धीरे चिल्ला रहा है धीरे धीरे चिल्लाने की जगह उसकी आवाज धीरे-धीरे बढ़ रही थी सोनू की पत्नी ने देखा की सोनू तो बहुत जोर से चिल्लाने लगा और पेट मे दर्द से तड़प ने लगा उसकी पत्नी ने तुरंत उसका मुंह कपड़े से दबा दिया जब तक नहीं छोड़ा जब तक उसकी सांस बन्द नहीं हो गयी , अब सोनू इस दुनिया से विदा हो चुका था परंतु मरते मरते सोनू यह बोलते बोलते मरा जिसने भी मेरे साथ बुरा किया है उसको इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी मै उसे नहीं छोडूँग परंतु सोनू की पत्नी को और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था उसे तो बस मोहित से प्यार , और उसकी जमीन दिख रही थी इसलिए उसने सोनू को मार दिया
धीरे धीरे सुबह हो चुकी थी सोनू की पत्नी सोकर उठने का बहाना कर रही थी उठते ही उसने चिल्लाना शुरु कर दिया और चिल्लाते चिल्लाते बोलने लगी हाय मेरा पति मर गया अब यह बात धीरे-धीरे सारे गांव में फैलने लगी थी की सोनू की मृत्यु हो गई है परंतु उनकी पत्नी ने नहीं सोचा था की किसी को पता भी चल जाएगा कि सोनू को जहर दिया गया था अब जल्द से जल्द मोहित सरिता और सोनू की माता जी को बुलाया गया उनको जब यह खबर मिली तो वो भागे भागे घर आए उन्होंने घर आकर देखा तो सोनू की लाश आंगन में पड़ी थी और सोनू की पत्नी सोनू के पैरों में पड़ी-पड़ी रो रही थी उसकी माता ने पूछा बेटा क्या हुआ था सोनू की पत्नी ने कहा की मम्मी जी रात यह कह रहे थे कि मुझे आज खीर पूरी और रसगुल्ले खाने हैं तो मैंने सब बना दिए खाना खाकर जब इन्होंने पानी पिया तो इनके पेट में बहुत दर्द होने लगा और ये बहुत चिल्लाने लगे पर कोई पास नहीं आया किसी ने इनको दिखाने के लिए कदम नहीं बढ़ाया कोई भी इनको डॉक्टर के पास नहीं ले गया उसकी मां ने अपने बच्चे के चेहरे को देखा और चेहरे को देखकर उसकी मां की हृदय गति रुक गई और वह भी अपने लड़के के साथ इस दुनिया से विदा हो गई इतना देखकर मोहित और सरिता बहुत रोए और सोनू की पत्नी भी जोर जोर से रोने लगी अब दोनों को शमशान ले जाया गया और उनकी क्रिया करी गई
वो कहते हैं कि इस दुनिया के बाद एक दुनिया और भी है जिन लोगों की इच्छा पूरी नहीं होती या अकाल मृत्यु हो जाती है तो उनकी आत्मा दूसरी दुनिया में पहुंच जाती हैं और वह इस दुनिया से संपर्क बनाने की कोशिश करते हैं और जब तक उस आत्मा की इच्छा पूरी न हो जाये उसे मोक्ष नहीं मिलता
आज सोनू और उसकी माता जी की मृत्यु का 13वां दिन था और सोनू और उसकी माता जी की तेहरामनि की सभा थी उनकी की सभा में अचानक सोनू की पत्नी बेहोश हो गई और उसके बाल अपने आप ही खुल गए और उसके मुंह से आवाज निकली कि मैंने अपने पति को जहर देकर मारा और इतना कहकर वह जमीन पर गिर गई अब थोड़ी देर बाद सोनिया होश में आई और होश में आने के बाद फिर उसको अजीब सा झटका लगा और फिर उसके चेहरे के हाव-भाव बदल गए फिर उसने कहा कि मैं अपने बेटे का बदला पूरे गांव वालों से लूंगी जब मेरा बेटा आखरी सांस ले रहा था कोई उसे डॉक्टर को दिखाने तक नहीं गया मेरे बच्चे का शरीर खराब था इसका मतलब यह नहीं था कि उसे जीने का हक नहीं इसकी सजा में सब को दूंगी इतना कहकर सोनू की पत्नी फिर जमीन पर गिर गई।
सभी गांव वाले यह सब देख रहे थे और यह सब देख कर गांव वाले घबरा गए उन्होंने कहा जब सोनू ने कोई आवाज लगाई नहीं किसी को तो उसे डॉक्टर के फोन ले जाता सभी गांव वालों की आपस में बातें चल रही थी और उधर पगड़ी की रसम होने वाली थी मोहित बैठक में आ ही रहा था उसने गांव वालों को कहते हुए सुना कि जब सोनू ने रात में किसी को आवाज लगाई ही नहीं तो उसे डॉक्टर के कौन ले जाएगा यदि आवाज लगाता तो भला ऐसा हो सकता है कि उसे डॉक्टर के कोई ना ले जाए पता नहीं क्या मसला है अब देखो गांव पर क्या कहर टूटता है
इतने में मोहित गांव वाले से पूछने लगा चाचा क्या बात हो गई चाचा ने बताया मोहित जब रात को सोने के पेट में दर्द हो रहा था पर उसने किसी को आवाज लगाई नहीं तो उसे डॉक्टर के कौन ले जाता और ना ही सोनू की पत्नी किसी को बुलाने नहीं आई तो बताओ दूसरों को कैसे पता लगता लेकिन अभी अभी जो बात हुआ है वह बहुत ही गलत हुआ है मोहित उस समय सभा में नहीं था इसलिए मोहित को नहीं पता था
चाचा क्या हुआ है
तुम्हारी मां और सोनू का साया आया था दोनों गांव वालों को डरा रहे थे आज लगभग सोनू और उसकी माताजी को गुजरे हुए 15 दिन हो गए थे 16 दिन था धीरे-धीरे शाम हो रही थी शाम होते होते मोहित और उसकी पत्नी घर में थे पर उनका एक लड़का छत पर था एक लड़का अंदर टीवी देख रहा था जो लड़का छत पर था वह ऊपर बैठकर इधर उधर देख रहा था और शाम ढलने को थी धीरे धीरे रात होने लगी मोहित ने अपने बड़े लड़के से कहा बेटा ऊपर से नीचे आ जाओ
लड़का ठीक है पिता जी नीचे आ रहा हूं लड़का छत से नीचे उतरने के लिए सीडीयों पर पहुंचा चलते चलते पीछे से आवाज आई की मैं तेरा चाचा सोनू जैसे लड़के ने अपनी गर्दन घुमा कर पीछे देखा उसको बहुत जोर का धक्का लगा और वह सीढ़ियों से नीचे गिर गया उसके सर में चोट आई और पैर में भी चोट आई लड़का घायल था इसलिए मोहित उसे भागकर डॉक्टर के पास ले गया डॉक्टर को दिखाया, डॉक्टर ने कहा कि आप के लड़के के सिर में घाव हो गया है और पैर में फैक्चर हो गया है अब मोहित ने लड़के के पैर में प्लास्टर करवा और सर पर पट्टी बंधवाई और घर आ गया उसकी सविता ने अपने बड़े लड़के से पूछा बेटा क्या हुआ सीढ़ियों से गिर गया लड़का बोला मम्मी जी पीछे से आवाज आई जैसे किसी ने कहा मैं तेरा चाचा सोनू जैसे ही मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे बहुत तेज धक्का लगा और मैं बेहोश हो और मुझे कुछ याद नहीं आँखें खुली तो मेरे पैर में चोट थी उसकी बात सुनकर मोहित और सरिता दोनों भोचक्के के रह गए
दूसरा लड़का अगले दिन टीवी देख रहा था और अचानक टीवी के सिग्नल चले गए और टीवी में लाइनिंग आ गई लड़के ने सरिता से कहा मम्मी टीवी में लाइन आ गई है मैं जरा एंटीना ठीक करके आता हूं और लड़का छत पर चढ़ गया सविता टीवी देख रही थी उसने ध्यान से टीवी में देखा टीवी में लाइनिंग नहीं थी किसी की आकृति बनी हुई थी उसने देखा कि जो आकृति बनी हुई है वह किसी और की नहीं बल्कि सोनू की थी
एक पल को सविता को लगा कि सोनू उसे हाथ दिखा रहा है जैसे ही वह टीवी के पास पहुंची तुरंत टीवी से आवाज आई यह घर छोड़कर चले जाओ यह घर मेरा है सरिता डर गई और उसने भागकर टीवी बंद किया पर कई बार कोशिश करने के बावजूद टीवी बंद नहीं हो पा रहा था लाइट भी लूक झुक कर रही थी नल का पानी कभी कभी अपने आप ही चल जाता था मानो कोई उस पर पानी पी रहा है सोनू की खाट पर करवट लेने की आवाज आती थी मानो कोई खाट पर सो रहा है सोनू के घर की छत पर ऐसा लगता था कि कोई घूम रहा है
सच मानो धीरे-धीरे इन सब चीजों से सविता और मोहित बोहोत ज्यदा डर कर परेशान होने लगे
एक दिन मोहित के घर के पड़ोस वाले घर में दो फौजी लड़के थे उनमें से एक छुट्टी काटने के लिए आया था उनको वापस आकर पता लगा की सोनू और उनकी माता जी नहीं रहे फौजी के घर वालों ने फौजी से कहा कि बेटा आप छत पर मत सोना उनके घर पर बहुत ही डरावना साया है परंतु फौजी यह बात नहीं मानते थे और वह निडर थे इसलिए फौजी नहीं डरता था फौजी ने कहा ऐसी कोई चीज नहीं होती शाम के समय फौजी मोहित से मिलकर आया और अपनी भाभी से नमस्ते करके आया , उसके घर बहुत दुख जताकर आया
अब फौजी अपने घर आया और उसने कहा कि मां मेरा खाना लगा दो फौजी अपना खाना खाकर अपना बिस्तर और खाट लेकर छत पर चला गया अपने मां-बाप के लाख मना करने के बावजूद फौजी नहीं माना और वहां चला गया धीरे-धीरे रात हो गई और फौजी सोने लगा लगभग 1:30 बजे होंगे अचानक फौजी को धक्का लगा अब फौजी की आंख खुल गई काफी जोर से धक्का लगा था उसने सोचा कि शायद किसी ने मजाक किया फिर लौटकर सोने लगा तकरीबन 10 मिनट बाद फौजी को फिर से धक्का लगा अबकी बार फौजी ने सोचा कि मुझे छानबीन करनी चाहिए कोन मुझे धक्का मार रहा है फौजी उठा और उसने चारों तरफ देखा उसने अपनी छत से मोहित के घर में झांका उसे कुछ दिखाई नहीं दिया
फौजी चारों तरफ देखने लगा उसकी नजर मोहित के घर में गई और उसने देखा कि कोई लंगड़ा व्यक्ति खिचड़ खिचड़ कर चल रहा है और मोहित के घर की तरफ बढ़ रहा है और वह बहुत तेज हो रहा है काफी अंधेरा था इसलिए उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, फौजी को नींद आ रही थी उसने कहा ठीक है मैं चल कर सोता हूं तो वह अपनी खाट पर दोबारा लौट जाता है लौटने के बाद तकरीबन आधे घंटे बाद उसको किसी ने बहुत जोर से झकझोरा और फौजी उठ गया फौजी उठकर बोला कौन है दम है तो सामने आए परंतु फौजी को वहां पर कुछ नहीं दिखा लगभग रात के 2:30 बज चुके थे फौजी फिर से अपने बिस्तर पर लौटने जा रहा था उसने देखा की सोनू की छत के कोने पर एक बड़ी सी औरत बैठी है और वह सिर्फ फौजी की तरफ ही देख रही है और एक भी पलक नहीं झपका रही है जब तक थोड़ा अंधेरा था अंधेरे में उस औरत की आंख थोड़ी चमक रही थी फौजी ने देखा फौजी ने देखा कि कोई औरत बैठी हुई है और वह मेरी ही तरफ देख रही है फौजी ने कहा माता जी आप कौन हैं और यहां पर क्यों बैठे हैं परंतु उधर से कोई उत्तर नहीं आया फिर फौजी ने दोबारा पूछा फिर भी उधर से कोई उत्तर नहीं आया अब फौजी थोड़ा हैरान था उसे ऐसा लग रहा था कि जो भी मैं बोल रहा हूं शायद उन्हें कुछ सुनाई नहीं दे रहा है फौजी ने बहुत ध्यान से देखा और थोड़ी सी आगे जाकर देखा उसने पाया कि जो औरत सोनू के घर के कोने पर बैठी थी वह सोनू की माताजी थी जो अभी कुछ दिन पहले मर गई थी
और उस बुढी औरत का चेहरा बहुत भयानक था और फिर वो बोहोत जोर से चिल्लाने लगी फौजी तुरंत बिस्तर उठा कर नीचे पहुंच गया और उसके पूरे जीवन का सबसे भयानक वाक्य था जाकर अपनी माताजी को जगाया और उन्हें यह बात बताइए उसकी माता जीने पहले ही इस बात के लिए सचेत किया था और फौजी ने ये बात मुझे भी बताई
आज फौजी को लगा की भूत प्रेत भी दुनिया में होते हैं ऐसे ही लोगों को डराते डराते तकरीबन 10-15 दिन निकल गए कभी किसी के घर बच्चे की रोने की आवाज आती थी किसी के घर औरत पागल हो जाती थी और कभी किसी आदमी के सर पर दोनों चढ़ जाते थे परंतु
आज फौजी की छुट्टी का 15 दिन था और फौजी फिर से रात में छत पर चल गया फौजी सोने के लिए नहीं गया था आज फौजी कुछ छानबीन करने गया था तकरीबन रात के 1:30 बजे फौजी को फिर वही बात क्या दिखाई दिया कि मोहित के घर में कोई विकलांग लड़का हाथों के बल चल कर आ रहा था फौजी यह देखकर समझ चुका था कि यह सोनू ही है और मोहित के घर में सब सो रहे थे फौजी ने देखा की सोनू दरवाजे बंद होने के बावजूद अंदर घुस गया ऐसा लगा कि दरवाजे में से पार हो गया और जाकर बीच आंगन में बैठ गया उसके सामने खाने की एक थाली रखी थी जिसमें खीर पूरी रसगुल्ले रखे थे सोनू ने उन्हें खाया और उसके मुंह से झाग आने लगे क्योंकि फौजी छानबीन कर रहा था इसलिए वह यह देखने के लिए चुप चुप कर उस आत्मा के पास तक पहुंच गया था आज जब उसके मुंह से झाग निकलने लगे तो वह बहुत जोर जोर से चिल्ला रहा था उसकी चिल्लाने की आवाज घर में सिर्फ फौजी को ही सुनाई दे रही थी और किसी को यह आवाज सुनाई नहीं दी और घरवाले आराम से सो रहे थे उसने देखा मोहित की पत्नी एक कोने में बैठ कर रो रही थी, बड़बड़ा रही थी कि मैं सोनू की पत्नी को जलाकर मार दूंगी अब यह देखकर फौजी चक्कर में पड़ गया कि मोहित की पत्नी तो ठीक है फिर वह सोनू की पत्नी को क्यों मारना चाहती हैं मोहित की पत्नी के मुंह से आवाज आई किसी गांव वाले ने मेरी मदद नहीं करी और मेरा बच्चा मर गया मैं किसी को नहीं छोडूंगी यह सब देखकर फौजी वापिस छत पर चढ़कर अपने घर की तरफ आने लगा उसने देखा की सोनू की छत के कोने पर सोनू की माता जी बैठी हुई है और वह उसे एकटक देख रही है फौजी नीचे की तरफ भाग गया।
अब फौजी अगले दिन मोहित को बुलाने के लिए गया तो सविता ने कहा भैया आ जाओ चाय पी लो फौजी मन ही मन सोच रहा था कि जो मैंने देखा वह यहां नहीं बता सकता मोहित को अकेले में बताऊंगा फौजी मोहित को बार बार बुला रहा था सविता उसे देख रही थी क्योंकि सविता के सर पर आत्मा सवार थी तो वह फौजी की बात समझ चुकी थी परंतु दिन में वो कुछ नहीं कर सकती थी और मोहित, फौजी के साथ चला गया दोनों मंदिर में चले गए मंदिर में जाकर फौजी ने मोहित को सारी बात बताई और कहा मोहित यह बहुत ही विपदा की घड़ी है तुम्हारी पत्नी पर तुम्हारी माता जी का साया है और सोनू भी इसी घर में घूम रहा है इसका मतलब उनके साथ कुछ गलत हुआ है
वही घर में भटक रहे हैं कभी कोई अपशगुन ना हो जाए इसलिए तुम्हें इसका उपाय जल्दी करना होगा उसके बाद मोहित अपने घर गया जब वह अपने घर गया तो वह सविता को देखकर घबराने लगा सविता उससे बात कर रही थी थी तो वह इधर उधर की बात करने लगा सविता ने कहा आज कैसी बहकी बहकी बात कर रहे हो मोहित बोला नहीं नहीं कोई बात नहीं है सविता ने कहा ठीक है मैं खाना लाती हूं आप खाना खा लो मोहित बोला नहीं आज मुझे भूख नहीं है आज सोनू की पत्नी मोहित को देखकर कुछ सोचने लगी और मोहित से अकेले में मिली आज रात हम मिलेंगे तुमसे कुछ बात करनी है मोहित ने कहा ठीक है सही रात के 11:30 बजे मोहित और सोनू की पत्नी एक कमरे में आकर मिले और वह बात ही कर रहे थे अचानक सविता वहां पहुंच गई सविता की आंखें लाल थी बाल खुले हुए और मुंह पर हरी हरी लकीरे बनी हुई थी और वह कह रही थी तुम दोनों ने मिलकर मेरे लड़के को मरवा दिया इस बात को शंकर मोहित समझ गया कि यह सविता नहीं मां की आत्मा है और उसने कहा नहीं माता जी ऐसी कोई बात नहीं है आज तो इसने मुझे कुछ बताने के लिए यहां पर बुलाया था इसके आगे जैसे ही सोनू की पत्नी ने कदम बढ़ाया तो अचानक उसको धक्का लगा और वह जमीन पर गिर गई और वाहिद पत्नी सविता ने घर में रखी हुई मिट्टी के तेल की कल मिस्त्री उठाई और उस पर डाल दो साले घर में मिट्टी का तेल हो गया और अपनी आंखों से देखते-देखते उसमें आग लगा दी अब सोनू की पत्नी जलने लगी थी और चलते-चलते कहने लगी मैं तुझे नहीं छोडूंगी उस घर में ऐसा दूसरी बार हो रहा था की किसी को मरा जा रहा था वही समझ नहीं पाया कि सविता ने ऐसा क्यों किया और ऐसा करने के बाद सविता बेहोश हो गई जब उसकी आंख खुली तो उसने पाया सोनू की पत्नी मर चुकी थी और और सविता बहुत रोए परंतु मोहित ने यह बात किसी को नहीं बताई बस गांव में यही पता लगा की उनकी पत्नी ने खुद को आग लगा ली इस बात को लगभग 10 से 15 दिन हो गए और सरिता मोहित
मोहित सरिता और उनके दोनों लड़के घर में रह गए थे और डर की वजह से रात में सोते नहीं थे जागते रहते थे क्योंकि उस घर में अब एक नहीं दो नहीं तीन तीन आत्माओं का वास था और इनमें सबसे खतरनाक अब सोनू की पत्नी की आत्मा हो गई थी वह रात में उनके सामने से निकलती थी, वह देखने में पूरी जली हुई थी इसलिए इसका रूप बहुत ही भयानक था और बस वो यही कहती थी मैं तुम में से किसी को नहीं छोडूंगी सरिता ने यह बात अपने पिताजी से कहीं और उसके पिताजी ने पंडित जी से बात की जिन्होंने सरिता की और मोहित की कुंडली को मिलाया था जब पंडित जी ने यह बात सुनी तो पंडित जी मन ही मन सोच रहे थे कि अब वह घड़ी आ गई है जिसमें या तो सरिता या मोहित को नुकसान उठाना पड़ेगा
मोहित और सरिता बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे और उनके बच्चे भी बहुत डरे हुए थे रातों में तीनों आत्मा इनके घर में ही घूमती थी और आसपास जो घर थे उसमें भी घूमती रहती थी आसपास के सभी घर वालों ने अपने घर को तांत्रिकों की मदद से किलवा दिया था
परंतु एक घर अभी भी ऐसा था जिन्होंने अपने घर को नहीं किलवाय था उस घर में रोजाना तीनों आत्माएं जाया करती थी 1 दिन लगभग रात के 10:00 बजे करीब उस घर के बच्चे अपने घर के आंगन में खेल रहे थे और उनकी गाड़ी खड़ी थी तो वह गाड़ी के चारों तरफ भाग भाग के खेल रहे थे अचानक तीनों बच्चों में से एक लड़की की नजर गाड़ी के अंदर पड़ी तो उसने देखा कि उसमें तीन परछाइयां है ध्यान से देखा तो बच्ची डर गई क्योंकि तीनों बहुत भयानक थी और अंदर की तरफ भागी बाकी दोनों बच्चे समझ नहीं पाए फिर दोनों बच्चों ने भी गाड़ी में देखा वह भी डर गए और वो भी अंदर भागे थोड़ी देर बाद तीनों आत्माएं गाड़ी की छत पर बैठकर गाड़ी हिला रही थी कि ने बच्चों ने यह देखा और घबरा गए और उनमें से एक बेहोश हो गया अब उस घर के आदमियों ने फैसला किया की अपना घर भी किलवाय जाए
उधर सरिता के पिताजी ने पंडित जी को यह बात बताई थी और वे अपनी लड़की के घर पे जाने वाले थे शाम के समय पंडित जी और सरिता के पिताजी सरिता के घर चल दिए पंडित जी अपनी पूरी तैयारी से गए थे परंतु उनके मन में एक शंका थी क्योंकि आत्माएं 3 थी और बलशाली भी थी और मैं अकेला हूं इसलिए उन्होंने अपने गुरु स्वामी नारायण जी से बात की और उनके गुरु ने कहा था यदि कोई समस्या होगी तो मैं अपने आप वहां पर पहुंच जाऊंगा फिलहाल आप जाओ
सरिता के पिता जी और पंडित जी उनके घर पहुंच गए शाम के समय था पंडित जी की बहुत अच्छी खातिरदारी हुई और उनके पिताजी ने वहां बैठकर सारी चीज समझी और पंडित जी ने भी सुनी पंडित जी ने पूरे घर में एक जाल बिछाया ऐसा कह लीजिए कि एक जादुई जाल बिछाया जिसमें तीनों आत्माएं फस जाएं परंतु आत्माएं बहुत ही ज्यादा खतरनाक थी इसलिए पंडित जी ने कहा कि मैं और आपके पिताजी घर से थोड़ा दूर रहेंगे अगर कोई समस्या होगी तो तुम आवाज लगा देना पंडित जी ने सरिता के पिता जी को भी एक धागा दिया और कहा कि आप इसे अपने हाथों में बांध लो अब रात होती आ रही थी दोनों घर से थोड़ी दूर खाट बिछा कर लेट गए सोए नहीं बस ध्यान उनका घर की तरफ था और बहुत ध्यान से देख रहे थे रात के 12:30 बजे सविता के पिताजी ने देखा कि सोनू की आत्मा हाथों के बल चल कर घर के अंदर जा रही है पंडित जी ने देखा कि जो आत्मा हाथों के बल चल रही है उसका ध्यान सिर्फ रसोई की तरफ है और दूसरी सोनू की पत्नी घर की दीवारों पर घूम रही है और चारों तरफ गर्दन घुमा रही है उसके पैर उल्टे थे इधर उन्होंने घर की छत पर देखा और सोनू उसकी माताजी छत के कोने में बैठ कर चारों तरफ देख रही हैं अब उन्हें अंदाजा हो गया था कि यह तीनों आत्माएं बहुत ही ज्यादा खतरनाक, इन्होंने इस घर को कब्जा लिया है क्योंकि पंडित जी ने जाल बिछाया हुआ था जैसे ही सोनू की आत्मा घर में घुसी और बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगी परंतु सोनू की पत्नी और उसके माताजी की आत्मा नीचे नहीं आए और वह छत पर घूमती रही थी सोनू की आत्मा तड़पती रही और सोनू कि आत्मा जाल में फंस गई थी पंडित जी मौका देख रहे थे कब उसे पकड़ लिया जाए और पकड़ कर दूर ले जाया जाए पर यह काम जब तक नहीं हो सकता था जब तक के उसकी माता जी की और उसकी पत्नी की आत्मा यहां से हट नहीं जाए धीरे धीरे सुबह होने वाली थी सुबह से पहले पंडित जी को सोनू की आत्मा को पकड़ना था उन्होंने सरिता के पिता जी से कहा अब आपको सोनू की माताजी और उसकी पत्नी की आत्मा का ध्यान भटका ना होगा तभी हम सोनू की आत्मा को पकड़ पाएंगे सरिता के पिताजी ने दोनों का ध्यान भटकाने के लिए, उनको आवाज दी, कि मैं यहां हूं सोनू की पत्नी और उसकी माता जी की आत्मा इधर उधर देख रही थी तभी अचानक सरिता के पिताजी ने आवाज दी और दोनों सरिता के पिता जी के पीछे आ गए इधर पंडित जी उठ कर सरिता के घर में भागे और सोनू की आत्मा को पकड़ने की कोशिश की परंतु सोनू की आत्मा उनके पकड़ने में नहीं आई
अगले ही पल सोनू की माताजी और उसकी पत्नी की आत्मा वापिस पंडित जी की तरफ बढ़े पंडित जी ने सोचा अब मेरा बचना नामुमकिन है उन्होंने सविता के पिता जी से कहा कि आप दूर चले जाओ और यहां पर मत आना और अपनी लड़की, दमाद और पोते पोतियो को यहां से दूर ले जाओ मैं इन तीनों को नहीं बांधकर रख सकता , देखते ही देखते दोनों आत्माएं घर में घुसी, देखने में बहुत भयानक थी पंडित जी एक क्षण भी नहीं घबराए उन्होंने कहा कि मैं तुम तीनों को नहीं छोडूंगा और पंडित जी ने जल निकाला और जल निकालकर तीनों आत्माओं पर छिड़का थोड़ी देर के लिए तीनों आत्माएं अलग हो गई और पांडे जी घर से बाहर निकले पर पंडित जी जब तक नहीं जा सकते थे जब तक के तीनों का इलाज ना कर दें और यदि उन तीनों का इलाज नहीं होगा तो आज सरिता का भी आखरी दिन होगा अब उनकी पत्नी की आत्मा सरिता की तरफ चली सरिता ने देखा सोनू की आत्मा उसकी तरफ आ रही है और इस चीज को सरिता के पिताजी भी देख रहे थे सरिता के पिताजी भी सरिता की तरफ दौड़े सरिता के पिताजी जैसे ही सरिता के पास पहुंचे अन्य सरिता को धक्का दे दिया और सोनू की पत्नी की आत्मा सामने आ गई, उस आत्मा ने अपना और भी भयानक रूप बना लिया और वह सरिता के पिताजी को उड़ा कर अपने साथ घर की छत पर ले गयी और वहां से उन्हें फेंक दिया और उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई
पंडित जी ने ने कहां बेटा सरिता मोहित अब तुम दोनों का इस घर में रहना नामुमकिन नहीं है अब तुम्हें यहां से यह घर छोड़ना होगा रात गुजरने में मात्र एक घंटा रह गया था क्योंकि 4:00 बजे के बाद बुरी शक्तियों का साया खत्म हो जाता है जैसे तैसे करके उन सब ने रात गुजारी और अगले दिन 4:00 बजे ही पंडित जी अपने गुरु के पास मिलने के लिए निकल गए और उन्हें सारी बात बताई अगले दिन उनके गुरु जी शाम के समय वहां पहुंच गए और उन्होंने सरिता मोहित और उनके बच्चों को एक धागा दिया उन्होंने कहा इस धागे को लगातार 15 दिन अपने हाथों में बांधे रखना जब तक मैं ना कहूं जब तक उसे उतारना मत और पंडित जी के गुरु जी ने रात के समय देखा फिर तीनों आत्माएं उस घर में अपना वास करे हुए हैं और बहुत चिल्ला रहे हैं लोगों को डराने की कोशिश कर रहे हैं पंडित जी ने कहा यह तीनों आत्माएं बहुत ज्यादा उग्र हो गई है अब उनका सामना करना मुश्किल होगा इस घर को हमें दैविक शक्तियों से बांधना होगा परंतु इस घर में यदि कोई आता है तो उसके लिए वह यह बहुत ही नुकसानदायक होगा इस बात को पूरे गांव में बताया जाएगा और यह घर को ऐसे ही बंद कर दिया जाएगा मोहित सरिता और उनके बच्चे यह बात मान गए और उन्होंने घर छोड़ दिया और पंडित जी के गुरु जी ने उस घर को मंत्रों से बांध दिया आज लगभग 22 साल हो चुके हैं वह घर आज भी ऐसा ही है परंतु अब उस घर से ना तो कोई आवाज आती है काफी टाइम से वहां पर किसी को देखा भी नहीं गया
लेकिन घर को कई बार खरीदा गया और अगले दिन ही उसे छोड़कर लोग वहां से चले गए क्योंकि जब उनकी जुबानी सुनी जाती है तो ऐसा लगता है की मौत का तांडव आज भी उस घर में मौजूद है लोग बताते हैं कि हमने यह घर लिया था इसमें काम शुरू किया पर पहले दिन जब रात में हम वहां पर सोए तो किसी ने हमारा गला पकड़ा और हमें हवा में उछाल दिया और एक लंगड़ा व्यक्ति हमें वहां बैठकर खाना खाते दिखाई दिया और जब हम लोग से कहां यहां क्या कर रहे हो जाओ यहां से तो वहां पर लौट गया और उसके मुंह से झाग आने लगे और उसमें हमारा पैर पकड़ कर हमें खींचने की कोशिश की और एक बुजुर्ग महिला हमारे कमरे के एक कोने में बैठ कर सिर्फ हमारी तरफ नजर लगा कर देखती रहती थी हमारा कलेजा मुंह को आ जाता था इसलिए अब और घर को लगभग 15 साल से किसी ने नहीं खरीदा क्योंकि जब भी कोई खरीदने आता लोग उसे पहले ही चेतावनी दे देते थे यदि कोई एक रात रुक कर देखना चाहता तो वह 4 से 5 घंटे भी वहां नहीं रूक पाते थे और वहां से चिल्लाते हुए भागते आज भी वह घर ऐसा ही है और लोगों में अभी तक उन आत्माओं का डर बैठा हुआ है
इसीलिए कहते हैं कभी किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए यदि बुरा करोगे तो खुद का भी बुरा ही होगा।
तो दोस्तों यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है और आपको बता दें इस कहानी में जो पात्र हैं वह काल्पनिक है
मोहित और सरिता ने अपना घर अपने खेतों पर बना लिया था अब उनके बच्चे बड़े हो गए हैं परंतु उनके मां बाप ने उन्हें सख्त हिदायत दी है कि उस घर की तरफ बिल्कुल नहीं जाएंगे और कई साल हो चुके हैं ना तो मोहित और ना सरिता उस घर की तरफ आते हैं अब उनका जीवन खुशहाल है दोनों और खुशी से ही रहे हैं
दोस्तों अब मिलेंगे अपनी नई कहानी में चलते हैं
जय श्री राम