चुड़ैल का प्यार [कैसे सभी गाँव वालों के सामने पहलवान को ले गयी]

चुड़ैल का प्यार [कैसे सभी गाँव वालों के सामने पहलवान को ले गयी]

कृप्या इस कहानी को रात मे ना पढ़े, कमजोर दिल वाले न पढ़ें, और यदि पढ़ते हैं तो अपनी जिम्मेदारी पर पढ़ें.

नमस्कार दोस्तों आज हम आपके सामने लाए हैं बेहद ही खतरनाक और बहुत ही रोमांच से भरी कहानी जो कि एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसने एक पूरे गांव को हिला कर रख दिया और भविष्य में कोई भी व्यक्ति शायद ही ऐसा कार्य  करेगा जिससे उसको अपनी मौत का सामना करना पड़ेगा ऐसी ही यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है हम आपको बताएंगे कि कभी-कभी खेल खेल में लोगों की जान भी चली जाती है और उसका हर्जाना पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है तो आइए चलते हैं कहानी की ओर सुनते हैं

पुराने समय में एक गांव में रौनक नाम का एक लड़का रहता था और रोनक बहुत ही बलशाली और निडर लड़का था कभी किसी चीज से नहीं डरता था और किसी से भी डर कर नहीं भागता रौनक बचपन से ही कुश्ती का बहुत शौकीन था और जगह जगह कुश्ती खेला करता था रोनक के दोस्त रोनक को हमेशा आगे देखना चाहते थे और रोनक का हर मौके पर साथ देते थे रौनक के गुरु स्वामी महादेव सिंह कुश्ती के बहुत बड़े गुरु थे और उन्होंने ही रौनक को कुश्ती की शिक्षा दी थी देखने में रौनक का शरीर बहुत ही विशाल था लगभग उसकी लंबाई 6 फुट थी और रंग गोरा था वह शरीर के साथ-साथ रंगत में भी सुंदर था एक दिन रौनक ने बस स्टैंड पर लगा एक पर्चा देखा उसमें लिखा था कि परसों दिनांक 5 जून 1988 को एक कुश्ती का आरंभ किया जाएगा और उस कुश्ती में प्रथम इनाम स्कूटर और ₹ 4000 थे द्वितीय इनाम एक साइकिल और      ₹ 2000 थे तृतीय इनाम ₹800 था रौनक ने देखा की स्कूटर जीतने का बहुत अच्छा मौका है
रौनक ने अपने दोस्तों से कहा की दोस्तों जिला गाजियाबाद के एक गांव में कुश्ती की प्रतियोगिता का आरंभ किया जा रहा है और यह कुश्ती लगभग 4 से 5 दिन चल सकती है और इसका इनाम भी बहुत अच्छा है मैं चाहता हूं कि मैं इस टूर्नामेंट में कुश्ती खेलु रोनक के दोस्त बोले ठीक है हम तेरे साथ चलेंगे और वही रहेंगे सभी दोस्तों ने मिलकर प्लानिंग की और लगभग 5 दोस्त  रौनक के साथ चले गए रौनक के पिताजी चाहते थे कि रौनक एक वर्ल्ड लेवल का चैंपियन बने रौनक अपने पिताजी की इच्छा पूरी करना चाहता था क्योंकि रौनक इस तरीके से कुश्ती खेला करता था जीसे देखकर अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते थे
अगले दिन रौनक कुश्ती में जाने के लिए तैयार हो गया और प्रतियोगिता की तरफ चल दिया कुश्ती शुरू होने मै आधा घंटा बाकी था रौनक ने प्रतियोगिता मैं अपना नाम लिखवाया और अपने कपड़े बदले लंगोट बांधी और खेलने चला गया प्रथम वर्ग में 50 किलो तक की कुश्ती हुई उसमें एक लड़के ने बाजी मारी अब 65 किलो वर्ग की कुश्ती का नंबर था और 65 किलो वर्ग की कुश्ती में रौनक का नंबर था ,
रौनक ने देखा जितने भी पहलवान थे वह रौनक से बहुत तगड़े थे रौनक के मन में ख्याल आया कि कहीं मै हार ना जाऊं तभी रोनक के दोस्तों की आवाज रौनक के काम में गई तु तो मिनटों में गिरा देगा और कुश्ती जीत जाएगा
अब रोनक के सामने जो पहलवान था वह बहुत ही तगड़ा था परंतु रौनक ने हार नहीं मानी रोनक ने सोचा अगर मैं इसे ही नहीं हरा पाया तो अपने पिताजी का सपना पूरा कैसे करूंगा कुश्ती शुरू हुई पहला पहला राउंड मैं दूसरे पहलवान ने रोनक के हाथ पकड़ कर उसे घुमा कर नीचे डाल दिया पर चित् नहीं कर पाया इधर दूसरी तरफ दो पहलवान लड़ रहे थे उनकी भी कुश्ती बहुत जोरदार चल रही थी अगले ही पल रोनक खड़ा हुआ और अपने सामने वाले पहलवान को गर्दन से पकड़ा और पूरे जोर लगाकर उसे नीचे गिरा दिया नीचे गिरा कर उसने जोरदार दांव लगाया और उसे चित् कर दिया और वह यह कुश्ती जीत गया परंतु अभी तो यह शुरुआत थी आगे आगे अभी टूर्नामेंट और ज्यादा तगड़ा होने वाला था आज का दिन समाप्त हो गया रौनक और उसके दोस्तों के रुकने के लिए इंतजाम किया गया था और रात में वहां रुके


अगले दिन कुश्ती का दूसरा दिन शुरू हो गया एक बहुत ही तगड़ा पहलवान आया जिसका नाम पूरे गाजियाबाद जिले में फैला हुआ था उसने रौनक को उठाकर अखाड़े से बाहर फेंक दिया परंतु रौनक हार नहीं माना और दोबारा उसके सामने चला गया उसके रौनक उसके सामने बच्चा सा लग रहा था और रोनक उस पहलवान को हराने के लिए जद्दोजहद कर रहा था पहलवान ने रोनक से कहा बच्चे हार मान जा वरना तुझे बहुत चोट लग जाएगी रोनक ने कहा पहलवान साहब चोट मुझे लगेगी तुम्हें नहीं अगर इतना ही डर है तो तुम गेम छोड़ दो मुझे लगता है तुम मुझसे डर गए हो और हार मान रहे हो इतना सुनकर सामने वाले पहलवान को गुस्सा आ गया उसने दोबारा रौनक को उठाकर बाहर फेंक दिया अब कुश्ती खत्म होने में मात्र 10 सेकंड का समय रह गया था और रौनक के पॉइंट कम थे रोनक के दोस्त चिल्ला रहे थे  रौनक रौनक रौनक      सब की नजर उसी को ही देख रही थी कुश्ती में सभी को बहुत रोमांच आ रहा था अबकी बार रौनक ने सामने वाले पहलवान की गर्दन को अपने पैरों से पकड़ कर बहुत तगड़ा दाव लगाया वह पहलवान नीचे गिर गया और वह पहलवान बेहोश हो गया और रौनक दूसरा राउंड भी जीत गया रौनक के दोस्तों ने बहुत खुशी मनाई अब रौनक के लिए स्कूटर की मंजिल दूर नहीं थी उसके मन में था कि मैं अपने पापा को स्कूटर गिफ्ट में दू  और अब कुश्ती का तीसरा पड़ाव आने वाला था लगभग  24 घंटे बाद तीसरी कुश्ती होनी थी और रोनक पल पल यही सोच रहा था की अब मैं तीसरी कुश्ती जीत जाऊंगा और अपने पापा को स्कूटर गिफ्ट में दूंगा किसी एक ख्वाहिश को लेकर वह पूरी राहत सोचता रहा एक पल भी नहीं सोया और तकरीबन रात के 2:00 बजे वह अपने कमरे से बाहर आया और अपने दोस्तों के पास चला गया उसके दोस्त सो रहे थे जाकर उसने अपने दोस्तों को जगाया और कहा दोस्तों क्या में कल कुश्ती जीत सकता हूं रौनक के दोस्त बोले रौनक तू अपने आप में विश्वास रख जरूर जीतेगा और सारे दोस्त उसका आत्मविश्वास बढ़ाने लगे और उसका आत्मविश्वास बढ़ाया अब अगला दिन आ ही गया था सुबह उठा अखाड़े में गया और प्रैक्टिस करने लगा रोनक के दोस्त बोले चल कुछ खा ले उसके बाद प्रैक्टिस करना रौनक ने कहा हां मैं अभी आ रहा हूं तुम चलो अखाड़े से कुछ दूरी पर एक कीकर का पेड़ था उस कीकड़ के पास खड़ी हुई एक लड़की दिखाई दी जो रौनक को हाथ दिखा कर बुला रही थी पहले तो रोनक ने उसको अनदेखा कर दिया परंतु, वह  वही खड़ी होकर उसे बुला रही थी रौनक ने  उसे अनदेखा कर दिया और अनदेखा करते हुए अपने दोस्तों के पास नाश्ता करने चला गया और अपने दोस्तों को यह बात बताई उसके दोस्त बाहर आए और कीकड़ की तरफ देखने लगे उन्होंने पाया की वहाँ कोई भी नहीं था उन्होंने रौनक से कहा शायद तुम्हें कोई वहम हुआ होगा क्योंकि ऐसे जंगल में कौन आएगा शायद कोई होगा चला गया होगा और यह बात उन्होंने यही पर खत्म कर दी ,
अब कुश्ती का वक्त आ गया था और सभी बेकरारी से कुश्ती का इंतजार कर रहे थे क्योंकि आज आखरी खेल था और फाइनल खेल था इसलिए सभी को इंतजार था कि आज कौन जीतेगा आज रौनक के सामने एक नया पहलवान था जोकि मध्य प्रदेश से आया था और जिसका नाम लियाकत था और  उसका नाम दूर दूर तक फैला हुआ था और रौनक अभी अभी नया नया पहलवान बना था परंतु उसके कौशल और उसकी ताकत ने सभी को हैरान कर रखा था रौनक ने देखा सामने जो पहलवान था वह कॉफी गठीला, लंबा और काफी तंदुरुस्त है  और बहुत ज्यादा फुर्तीला है
उसकी फुर्ती के आगे रौनक की फुर्ती कम पड़ रही है, पर उसने एक पल भी नहीं सोचा कि मैं हार जाऊंगा उसने सोचा कि आज मैं यहां से जीतकर ही जाऊंगा अब अगले ही पल  लियाकत, रौनक दोनों आमने-सामने थे लियाकत ने रौनक को देखा और कहा कि यह तो कोई बच्चा सा लगता है इससे कैसे सब हार गए अब लियाकत ने रोनक से हाथ मिलाया और कुश्ती शुरू हुई कुश्ती के शुरू होते ही लियाकत ने रौनक के सिर पर एक हाथ मारा और रौनक दूर जाकर गिरा रौनक लियाकत की ताकत का अंदाजा लगा चुका था रौनक है सोचा कि मुझे अपनी एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा और उसके मन में अपने पिताजी के लिए स्कूटर देने के लिए जो ख्वाहिश थी वह जागृत होने लगी और वह सीधा भाग कर लियाकत के  गले पर पैरों से कूद गया पर लियाकत को पलट कर दे मारा परंतु लियाकत चित् नहीं हुआ और खड़ा हो गया अगले ही पल लियाकत सोचने लगा इस बच्चे में तो बहुत जान है इसका सामना मुझे दिमाग से करना होगा फिर लियाकत रोनक दोनों सामने सामने आए दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और एक दूसरे पर दांव आजमाया मानो रोनक में कोई दैविक शक्ति आ गई थी लियाकत से एक सेकेंड के लिए भी नहीं पिछड़ा लियाकत ने भी अपने पूरे जोर लगाए रोनक ने भी खूब जोर लगाए दोनों लड़ते-लड़ते घायल हो चुके थे दोनों के सिर में से खून भी निकलने लगा था और दोनों में से कोई हार नहीं मान रहा था पर
लियाकत ने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक ऐसे बच्चे से लडूंगा जिस से मैं कभी जीत नहीं पाऊंगा लियाकत अपने आगे कभी किसी को कुछ नहीं समझता था उसे अपनी ताकत पर बहुत घमंड था परंतु आज उसकी ताकत और उसका घमंड दोनों चूर चूर हो गए थे उसे लगा कि मैंने आज तक किसी अच्छे पहलवान से कुश्ती ही नहीं करी आज पहली बार मैं किसी अच्छे पहलवान से कुश्ती कर रहा हूं इधर रौनक बस एक ही सोच के ऊपर लड़ रहा था उसे तो बस अपने पिताजी को स्कूटर देने की ख्वाहिश थी और वह हार नहीं मान रहा था और लगभग लड़ाई करते करते लियाकत और रौनक को एक घंटा हो चुका था अब दोनों के मुंह से भी खून आने लगा था दोनों सोच रहे थे की मै कैसे जीतूँगा परंतु लियाकत ने अब लड़ाई खत्म करने का फैसला किया
लियाकत ने रोनक को रोका और कहां रुक जाओ बहादुर पहलवान आज पहली बार मैंने किसी ऐसे पहलवान से कुश्ती की है जो मुझसे हार नहीं मान रहा और मेरा संघर्ष बराबर कर रहा है अभी तक रौनक समझ नहीं पाया था तुरंत लियाकत ने रौनक का हाथ पकड़कर उसका हाथ ऊपर खड़ा कर दिया और उसे जीता दिया और खुद उसके पैरों में पढ़कर बोला की रौनक जब तुम अपनी उम्र में आओगे तब तुम शायद पूरे भारत में नंबर वन पहलवान बन जाओगे पर इतना कहकर लियाकत अखाड़ा छोड़ कर बाहर आ गया सभी लोग चौक गए थे पर अचानक उसके दोस्तों ने ताली बजानी शुर की और रौनक के लिए तालियां बजती ही रही अब रौनक की ख्वाहिश और उसके अरमान पूरे हो चुके थे और वह अपने पिताजी के लिए स्कूटर और ₹4000 जीते, इधर लियाकत को ₹2000 और साइकिल मिली परंतु लियाकत ने ₹2000 साइकल रौनक को ही दे दिए और कहा आज से तुम मेरे गुरु हो और कुश्ती खत्म हो गई सब अपने अपने घर आ गए रोनक अपने घर स्कूटर लेकर आ रहा था जब वह अपना स्कूटर स्टार्ट कर रहा था तो उसे लगा कि फिर से सामने वाले कीकर के पेड़ से कोई औरत बुला रही है आज रौनक ने सोचा मै कुश्ती जीत गया हूं उसे भी मिठाई देकर आता हूं ,रौनक सभी को मिठाई बांट रहा था और वह कीकड की तरफ चल दिया कीकर के पेड़ की तरफ जाते जाते रौनक के हाथ में मिठाई का डिब्बा था और उसमें से उसने एक मिठाई का पीस उठाया और उठाकर उस पेड़ की तरफ चल दिया सभी लोग देख रहे थे सभी लोगों ने सोचा कि शायद यह मिठाई वह भगवान के नाम से कीकर के पेड़ पर रखने जा रहा है तब सभी अपनी बातों में लग गए और रौनक सीधा कीकर के पेड़ के पास पहुंच गया


कीकर के पेड़ के पास पहुंचते ही उसने उस औरत को मिठाई दी और कहा आज मैं कुश्ती जीत गया हूं यह उसकी मिठाई है उस औरत ने उससे कहा की एक शर्त पर में मिठाई लूंगी
रौनक बोला मतलब औरत ने कहा लाओ मुझे मिठाई का डिब्बा दिखाओ चुड़़ैल ने उसके मिठाई के डब्बे में से एक मिठाई उठाई और उठाकर रौनक के हाथो से मिठाई लेकर दोनों  मिठाई को मिलाकर एक मिठाई बना दी और उसमें से आधी मिठाई रौनक को दे दी और कहा तुम यह खाओ क्योंकि तुम जीते हो यह मिठाई मेरी तरफ से है वह बोला ठीक है मैं खा लूंगा अब तुम खाओ उस औरत का आधा मुंह ढका हुआ था उस औरत ने घूंघट में करके वह मिठाई खा ली और रौनक मिठाई लेकर चलता गया और रौनक ने भी मिठाई खा ली अब रौनक स्कूटर स्टार्ट करके चल दिया था और उसके दोस्त जो उसके साथ चल दिए थे दो दोस्त साइकिल पर आए और तीन दोस्त स्कूटर पर सब घर पहुंच गए और रौनक के दोस्तों ने उसकी कुश्ती का किस्सा सुनाना शुरू किया आज उसकी कुश्ती का किस्सा पूरे गांव में मशहूर है
उस दिन जब रौनक वो मिठाई खा कर आया था तो उसे नहीं पता था कि दुनिया की सबसे बड़ी बला उसके पीछे आने वाली है और वह इसके लिए बहुत ही बड़ा अपशगुन लेकर आ रही है अब रोनक अपने घर पहुंचा तो उसका स्वागत फूल मालाओं से हुआ रौनक के दोस्तों ने यह किस्सा पूरे गांव में सुनाया तो सभी खुश हो गए पर अगले दिन ज्यादा से ज्यादा लोग उसके घर उसे मिलने आए उसे बधाई देने के लिए आए और रौनक के पिताजी स्कूटर देखकर बहुत खुश हुए और रौनक को बहुत आशीष दिया और आज का दिन हँसी खुशी मे निकल गया और
आज रौनक रात के समय सोने जा रहा था उसने देखा घर से थोड़ी दूरी पर एक कीकर का पेड़ खड़ा था उसने देखा कि वही औरत जो उसे उस कुश्ती के ग्राउंड के अखाड़े में दिखी थी आज इस कीकर के पेड़ के पीछे खड़ी होकर उसे बुला रही है रौनक थोड़ा सा हैरान हुआ और वहां पर चला गया रात का समय था तो जब वह बाहर जा रहा था तो उसके पिताजी ने पूछा कि बेटा कहां जा रहे हो रौनक ने कहा पिताजी मैं अभी आ रहा हूं मुझे 2 मिनट लगेंगे , रौनक ने घर के बाहर कदम निकाला और कीकर के पेड़ के पास आ गया और उस औरत को पूछा आप यहां किसके यहां पर आए हैं मुझे लगता है कि शायद मैंने आपको देखा है मैंने आपको शायद कुश्ती वाले ग्राउंड पर भी देखा था औरत काफी देर तक शांत रही पर जब रौनक ने कई बार पूछा तो औरत ने कहा कि मैं यहां पर रिश्तेदारों के यहां आई थी पर वह सब बाहर गए हुए हैं इसलिए मैं यहां पर खड़ी हूं रौनक ने कहा कोई बात नहीं आप हमारे घर चलो मैं आपका रात को सोने का इंतजाम कर देता हूं आप सुबह आराम से वापस चले जाना और रौनक उसे अपने पीछे पीछे अपने घर ले गया और उसके पिताजी ने पूछा आ गए बेटा तो रौनक ने कहा हाँ पिताजी क्युकी रौनक के पिता जी उपर थे तो उन्हे कुछ नहीं दिखा और दरवाजा बंद कर दोनों अंदर आ गए रौनक ने उसके लिए एक अलग खाट  बिछाई और उसे वहां लौटने के लिए कह दिया इस कमरे में उस औरत की खाट बिछाई थी और दूसरे कमरे में रौनक ने अपनी खाट बिछा रखी थी और उसके माता-पिता दूसरे कमरे में सो रहे थे अब वह सब सोने लगे अब रात के करीब 11:30 बजे रोनक की आंख खुली और उसने देखा वह औरत उसके सामने खड़ी थी रौनक ने कहा क्या हुआ आपको डर लग रहा है पर वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप खड़ी रही रौनक काफी देर सोचता रहा उसने कहा ठीक है आप यहां सो जाओ मैं उस कमरे में सो जाता हूं और वह उस औरत को इस कमरे में छोड़कर दूसरे कमरे में चला गया जब वह दूसरे कमरे में सोया तो उसकी आंख तकरीबन 2:30 बजे खुली और उसने देखा कि वह औरत अब इस कमरे में उसके सामने खड़ी थी रौनक ने कहा क्या बात है तुम सो क्यों नहीं रहे उस औरत ने कहा की हम रात में कभी नहीं सोते ,    रौनक मतलब आप रात में नहीं सोते इसका मतलब आप दिन में सोते हो औरत बोली नहीं ना हम रात में सोते और ना दिन में सोते पर हम सिर्फ रात में दिखते हैं और दिन में किसी खास को दिखाई देते हैं रौनक अभी उसकी बात नहीं समझा था रौनक ने कहा कि तुम सो जाओ मुझे सुबह कुश्ती के लिए भी जाना है पर इतना कहकर वह सो गया सुबह लगभग 7:00 बजे रौनक की आंख खुली और वह उठकर दूसरे कमरे में गया और उसने देखा उसे वहां पर कोई दिखाई नहीं दिया उसने घर में चारों तरफ ढूंढा उसे कोई नहीं दिखाई दिया
उसने अपने पापा से पूछा पापा मेहमान आई थी क्या वह चली गई उसके पिताजी ने कहा कौन मेहमान ना तो बेटा कोई नहीं आया और ना कोई गया उसने कहा पापा मैं रात में जब बाहर जा कर वापिस आया था तो मेरे पीछे एक औरत आई थी उसके पिताजी ने कहा नहीं जब तुम आए थे मैने ऊपर से देखा था वहां पर कोई नहीं था सिर्फ तुम ही थे रौनक को लगा शायद मैंने कोई सपना देखा और वह उस चीज को भूल गया अपने अखाड़े पर चला गया अगले दिन शाम के समय एक पंडित जी रौनक के लिए एक रिश्ता लेकर आए और पंडित जी ने कहा कि रौनक की शादी करा देनी चाहिए और यह लड़की बहुत सुंदर बहुत सुशील और अच्छे परिवार की है रोनक के पिता ने रौनक को बुलाया और कहां बेटा अब तुम्हारी शादी की उम्र हो गई है अब तुम्हारी शादी करानी होगी रोनक ने कहा पिताजी मुझे तो पहलवान बनना है उसके पिताजी ने समझाया की अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए शादी करना अति आवश्यक है रौनक ने कहा जैसी आपकी इच्छा पिताजी और यह कहकर अपने कमरे में चला गया और सोने लगा तकरीबन रात के 1:30 बजे रौनक की आंख खुली और उसने देखा की वह औरत फिर से उसके सामने खड़ी है रौनक ने कहा क्या मैं कोई सपना देख रहा हूं उस औरत ने कहा नहीं कोई सपना नहीं देख रहे रौनक ने कहा तो तुम सुबह कहां चले गए थे पिताजी कह रहे थे कि कोई नहीं है औरत ने कहा कि मैं तो यही थी तुम्हारे पिताजी को मैं दिखाई नहीं दी जब तुम कुश्ती के लिए जा रहे थे तब मैं उस कमरे से निकली थी परंतु तुमने भी मुझे नहीं देखा रौनक ने कहा ठीक है अब मुझे बताओ कि तुम हो कौन और किसके यहां पर आए हो मैं तुम्हें अभी छोड़कर आऊंगा रोनक नहीं यह बात दोबारा दोराई उसकी बात सुनकर
उस औरत ने कहा कि मैं रौनक की पत्नी हूं और मैं रौनक ने  अपना नाम सुनकर कहा अच्छा-अच्छा तुम्हारे पति का नाम भी रौनक है औरतों ने कहा नहीं मेरे पति का नाम भी रौनक नहीं मेरे पति तुम ही हो रौनक ने कहा तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है तुम यहां से तुरंत चले जाओ और पिता जी देखेंगे तो मुझ पर ही गुस्सा करेंगे औरत ने कहा कि ना तो तुम्हारे पिताजी और तुम्हारी माताजी मुझे देख सकते हैं मेरी मर्जी के बिना कोई मुझे नहीं देख सकता और इतना कहकर उसने अपने चेहरे से घूंघट उठाया और घूँघट उठाते ही रौनक बेहोश हो गया रौनक की आंख सुबह खुली और वह सुबह उठकर सीधा अपने माता-पिता के पास गया और उसने सारी बात बताई अब रौनक के पिताजी और माताजी परेशान हो गए और सीधा पंडित जी के पास गए पंडित जी को सारी बात बताई पंडित जी ने रोनक को अपने पास बुलाया और उससे पूछा कि तुमने कुछ ऐसा तो नहीं किया जिस से वह तुम्हारे पीछे आ गई रोहन ने पूछा मैं समझा नहीं  पाया पंडित जी

 

पंडित जी ने रोनक से दोबारा पूछा क्या किसी की दी हुई कोई चीज तुमने खाई तो नहीं पंडित जी बात सुनकर रौनक ने कहा नहीं मैंने किसी से कोई चीज लेकर नहीं खाई हां पर जब मैं कुश्ती जीत गया था तो उसके बाद मै ने मिठाई बाटी और मुझे एक कीकड़ के पेड़ के पास एक औरत दिखाई दी थी और मैंने उसे भी मिठाई खिलाई थी उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हारी मिठाई जब खाऊंगी जब तुम मेरे हाथ से मिठाई खाओगे उसने मेरे डब्बे में से ही मिठाई उठाकर अपनी मिठाई और मेरी मिठाई को मिलाकर एक नई मिठाई बनाई और आधी खुद खा ली और आधी मुझे दे दी थी पंडित जी उसकी यह बात सुनकर दंग रह गए और उन्होंने कहा यह बहुत बड़ा अनर्थ हो गया है जिस हाथों से तुम ने मिठाई खाई वह मिठाई वह एक चुड़़ैल थी और मिठाई मंत्रित थी अब वह तुम्हें अपना पति मानती हैं

उनकी यह बात सुनकर रोनक हैरान रह गया रौनक ने कहा पंडित जी ऐसा कुछ नहीं है मैं उसे भगा दूंगा पंडित जी ने कहा बेटा अब तुम कुछ नहीं कर पाओगे अब तो बस ऊपर वाला ही कुछ कर सकता है पंडित जी की बात सुनकर रोनक के पिताजी थोड़ा घबरा गए और पंडित जी से पूछा कि पंडित जी इसमें क्या हो सकता है पंडित जी ने कहा अब हमें कुछ दैविक क्रिया करनी पड़ेगी अगर उससे कोई लाभ होता है तो ठीक है वरना कहीं और जाना पड़ेगा पंडित जी ने कुछ कर्मकांड करें और यज्ञ करें उनके घर को पवित्र किया और यज्ञ हो चुका था और रात का समय था
रौनक अपने कमरे में सोने चला गया और उसके माता-पिता भी शांति से सोने चले गए उस रात रोहन बहुत आराम से सोया अब अगले दिन रोहन ने अपने पिताजी को कहा कि पिताजी आज मुझे किसी ने परेशान नहीं किया ना ही आज कोई दिखाई दिया रोहन के पिताजी पंडित जी के पास गए और पंडित जी को बताया पंडित जी को लगा शायद वह सारी बला दूर हो गई है
अब अगला दिन था और रोहन फिर सोने गया अगले दिन रौनक सो रहा था सोते-सोते ही रोहन को आवाज आयी रोनक उठो रौनक आवाज सुनकर उठ गया उसने देखा वही भयानक चेहरे वाली चुड़ैल रोनक के सामने खड़ी थी जिसे देख कर रौनक बेहोश हो गया था पर आज रौनक उसेसे डरा नहीं और रौनक ने चुड़़ैल से कहा मैं तुम्हारा कोई पति नहीं हूं तुम यहां से चली जाओ वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा रौनक ने कहा अगर तुम यहाँ से नहीं गए तो मैं तुम्हें मार दूंगा इस बात पर चुड़ैल बहुत जोर जोर से हंसने लगी और उसने कहा कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं अब मैं तुम्हें लेकर ही जाऊंगी रौनक चिल्ला चिल्ला कर बात कर रहा था, उसके माता-पिता जग गए और उसके कमरे में आए रोनक से पूछा बेटा क्या हुआ रौनक ने कहा पिताजी यह चुड़ैल कह रही है कि मैं तुझे साथ लेकर जाऊंगी परंतु उसके पिताजी और माताजी को कुछ नहीं दिखाई दिया मैंने कहा यहां तो कुछ नहीं है पर चुड़ैल उनके सामने ही खड़ी थी रौनक बहुत सोच विचार करके बोला कि ठीक है पिताजी आप पंडित जी के पास जाओ और उन्हें अभी इसी वक्त यहां पर बुलाकर लाओ रौनक की बात सुनकर वह चुड़ैल हंस रही थी और कह रही थी कि मैं तो तुझे लेकर ही जाऊंगी अब रौनक के पिताजी पंडित जी पास भागकर गये और उन्हें बुलाकर लाए पंडित जी भी भागे भागे आए पंडित जी अपने साथ गंगा जल भभूत वगैरह लेकर आए थे
जब वह उस कमरे में घुसे तो उन्हे बहुत जोर से धक्का लगा और वह वापस कमरे के बाहर गिर गए तुरंत खड़े हुए उन्होंने कहा की रौनक तुम बाहर आजाओ रौनक ने बाहर आने की कोशिश करी पर रौनक बाहर नहीं आ पाया पंडित जी ने रोने के पिताजी को थोड़ी सी भभूत दी और कहा कि अंदर जाकर रोना के ऊपर छिड़क दो उसके पिताजी ने अंदर जाकर रौनक के ऊपर भभूत छिडक दी और फिर पंडित जी ने कहा रोनक बाहर आ जाओ, रौनक बाहर आ गया , पंडित जी ने पूछा क्या वह चुड़ैल अभी अंदर कमरे में दिखाई दे रही है रोनक ने कमरे मे झांक कर देखा और कहा नहीं पंडित जी अब नहीं दिखाई दे रही पंडित जी ने कहा बेटा तुमने यह क्या मुसीबत गले लगा ली है, अब हमें गुरुजी के पास जाना होगा अगले दिन पंडित जी गुरुजी के पास गए और उन्हें सारी बात बताई गुरुजी ने अपने दिव्य शक्ति से रौनक के सर पर हाथ रख कर देखा तो पता लगा कि वह चुड़ैल रौनक से जुड़ चुकी है अब गुरुजी ने कहा बेटा इस चुड़़ैल को दूर करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी तथा बहुत ही डर का सामना करना पड़ सकता है यदि तुम उस डर से तुम निकल गए तो तुम इस चुड़ैल को मात दे दोगे और ऐसा नहीं हुआ तो बहुत बुरा होगा
अगला दिन समाप्त हो चुका था रात का समय आने ही वाला था पंडित जी और गुरु जी दोनों रौनक के पास रौनक के घर चले गए और रौनक से कहा जब आज रात वह चुड़ैल तुम्हें दिखाई दे तो तुम कुछ मत बोलना चुपचाप सोते रहना चाहे वह कितनी भी आवाज दे क्युकी आज गुरू जी ने एक मंत् रौनक को दिया था और कहा की इसे जपते रहना
रात 2:00 बजे थे वह चुड़ैल आई और रौनक को आवाज लगाने लगे रौनक कुछ नहीं बोला , चुड़़ैल ने खूब गुस्सा देखाया परन्तु रौनक कुछ नहीं बोला, फिर चुड़़ैल ने रोनक से कहा अगर तुम नहीं बोलोगे तो मैं तुम्हारे मां बाप को मार दूंगी, और चुड़़ैल रौनक के पिता जी के पास जाने लगी, रौनक पिता जी की वजह से तुरंत बोल गया और उसके गुरुजी बोले बेटा तुम्हें बोलना नहीं था बस इतना कहते ही चुड़ैल ने पंडित जी और गुरु जी पर हमला कर दिया पंडित जी और गुरु जी ने मंत्रों से अपने आप को बचाया और रौनक भी बाहर ले गए
अब उन दोनों के हाथ से बात बाहर निकल गई थी और चुड़ैल कह रही थी मैं आज से सही तीसरे दिन रौनक तुझे अपने साथ ले जाऊंगी रौनक ने कहा कि मैं कहीं नहीं जाऊंगा उधर गुरु जी और पंडित जी सोच में पड़ गए मगर उसके पिताजी परेशान थे किसी ने उनको एक तांत्रिक के बारे में बताया वह तांत्रिक के पास भी गए और तांत्रिक को भी बुला कर लाए एक मौलवी के बारे में बताएं मौलवी को भी बुला कर जाए आज चुड़ैल के कहे मुताबिक तीसरा दिन था
आज दिन के समय रौनक बहुत थका हुआ सा महसूस कर रहा था उसने अपनी खाट अपने आंगन में डलवाई और लौट गया अपने पापा मम्मी को अपने पास बुलाया और कहने लगा मम्मी आज मुझे बहुत थकावट हो रही है उसके मां बाप ने तंत्रिक, मौलवी और पंडित जी उनके गुरु जी सब को बुला रखा था उन चारों ने उसकी खाट की चारों तरफ डेरा डाला और चारों ने दिव्य दृष्टि से देखा आज रौनक जो बहकी बहकी बात कर रहा था उसके पीछे कोई और नहीं चुड़ैल थी रौनक एक टक उपर की तरफ देखने लगा उसके मां-बाप उससे बात कर रहे थे और उसने कोई जवाब नहीं दिया रौनक ने ऊपर देखना बंद नहीं किया और रोने धीरे-धीरे कहने लगा मम्मी वह मुझे ले जाने के लिए कह रही है पिताजी वह मुझे ले जाने के लिए कह रही है अब वह चुड़ैल सिर्फ रौनक को दिखाई दे रही थी , हंस रही थी, कह रही थी तुझे कोई नहीं बचा पाएगा रौनक अपने डर का शिकार हो रहा था चुड़ैल धीरे-धीरे रोनक पर हावी हो रही थी रौनक ने चिल्लाना शुरू कर दिया था मुझे बचाओ ये मुझे मार डालेगी क्योंकि चुड़ैल का रुप बहुत ही डरावना हो चुका था और देखने में वह बहुत ज्यादा भयानक हो गई थी .
अब उसने कहा कि तुझे कोई नहीं बचा पाएगा इधर मौलवी तांत्रिक और पंडित जी सभी पूजा हवन कर रहे थे परंतु चुड़ैल पर किसी के भी हवन यज्ञ, मंतर का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था धीरे-धीरे वहाँ पूरा गांव वहां पर इकट्ठा हो गया , रोनक के दोस्त भी आ गए रौनक के दोस्तों ने रोनक से कहा रौनक तू कभी हार नहीं मानता यार आज क्यों हार मान रहा है परंतु रोनक का शरीर कमजोर हो गया था और अंदरूनी तौर पर बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था इसलिए रौनक घबरा रहा था और रौनक ने अपने दोस्तों से कहा यह चुड़ैल मुझे मार देगी और मुझे अपने साथ ले जाएगी उसके दोस्तों ने कहा ऐसा नहीं होगा पर रोनक बार-बार यही कह रहा था.
इधर रौनक के पिताजी ने तांत्रिक से पूछा तांत्रिक ने कहा इस चुड़ैल के सामने हमारी शक्ति कमजोर पड़ रही हैं और देखते ही देखते रौनक शांत हो गया, अपने माता-पिता से बोला आप अपना ध्यान रखना और मैं जा रहा हूं,
रोनक इतनी बात बोलकर शांत हो गया और उसके दिल मे बोहोत जोर से दर्द हुआ और रौनक एक दम चिल्ला या और शांत हो गया अब रौनक के प्राण जा चुके थे और उसकी मृत्यु हो चुकी थी , तांत्रिक ने उसके पिता जी को बताया की चुड़़ैल की आत्मा रौनक की आत्मा से जुड़ चुकी थी इसलिए उसका सामना करना किसी के बस की बात नहीं था
चुड़़ैल जाते जाते बोली मैं इसे ले जा रही हूं और अब कोई मुझे परेशान ना करें इतना कहकर चुड़ैल चली गई और रौनक की मृत्यु हो गई इस वाक्य को पूरे गांव ने अपनी आंखों से देखा और पूरा गांव सहम गया उस चुड़ैल के आगे किसी की एक ना चली और एक बहुत ही युद्धवीर पहलवान मर गया और वह इस दुनिया को छोड़कर दूसरी दुनिया में चला गया।

तो दोस्तों इस कहानी से हमें सीख मिलती है बिना वजह किसी के हाथ से दिया हुआ कोई मीठा नहीं खाना चाहिए खासतौर पर सफेद मिठाई या पीली मिठाई और यह मिठाई खाकर कहीं अकेले सुनसान रास्ते में नहीं जाना चाहिए इससे काफी बुरी चीजें प्रभावित होती हैं और वह आपके पीछे लग सकती हैं इस बात का खास तौर पर ध्यान रखें तो चलते हैं दोस्तों अब हम अपनी कहानी यहीं खत्म करते हैं और मिलेंगे अगली कहानी में जब तक के लिए


जय श्री राम

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