Doston baat San 1947 ki hai जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था।
दरअसल उस समय पर कुछ ऐसे क्षेत्र थे जहां पर मुस्लिम बहुसंख्यक थे तथा कुछ ऐसे क्षेत्र थे जहां पर हिंदू बहुसंख्यक थे लेकिन बंटवारे के समय हिंदुओं ने भारत में रहना मुनासिब समझा और पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में जो हिंदू थे वह भारत की ओर अपना रुख करने लगे थे।
यह सिलसिला काफी लंबे समय तक चला अभी चल रहा है और इसके बदले में काफी खून खराबा भी हुआ है लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
उसके बाद कश्मीर में भी इसी प्रकार के हालात हुए लोगों ने कश्मीर से भी पलायन कर लिया अब कश्मीर के बाद केरल दिल्ली इन सभी राज्यों में भी इसी प्रकार के हालात दिन पर दिन बनते चले जा रहे हैं पश्चिमी बंगाल को भी हम इसी श्रेणी में रख सकते हैं वहां भी लोगों को जय श्री राम कहना काफी गैर संवैधानिक लगता है।
क्या पलायन समाधान है
दोस्तों जब भी एक कम्युनिटी के लोग किसी स्थान पर रहते हैं और वहां पर दूसरी कम्युनिटी का बोलबाला हो जाता है तो जो निम्न कैटेगरी के लोग हैं वह वहां से अपने आपको कहीं अलग ले जाने की कोशिश करते हैं इसी प्रक्रिया को पलायन का नाम दिया जाता है यह कई प्रकार से हो सकता है जैसे कि खाने के अभाव में या खेती ना कर पाने के बाद में रोजगार न मिलने के बाद में धार्मिक आधार पर जातिवाद के आधार पर यह कई प्रकार के पलायन देखे जा सकते हैं।
लेकिन आज मैं आपको यह समझाना चाहता हूं कि पलायन किसी भी समस्या का समाधान नहीं है अगर आपको उस समस्या को मूल रूप से समाप्त करना है तो आपको इसका सामना करना पड़ेगा अन्याय को सहना बंद करना पड़ेगा और सत्य के साथ खड़ा होना पड़ेगा।
पाकिस्तान से पलायन करके भारत आए कश्मीर से पलायन करके दिल्ली आए अब दिल्ली से प्लेन करके कहां जाओगे पलायन तो किसी समस्या का समाधान नहीं हुआ ना ऐसे देश की कल्पना नहीं की थी हमारे सुभाष चंद्र बोस जी ने और चंद्रशेखर आजाद ने।
गलत को गलत कहना सीखो
दोस्तों अगर आप भी इस प्रकार की समस्याओं से निजात पाना चाहते हैं तो सर्वप्रथम आपको गलत को गलत कहना पड़ेगा आपको सच्चाई का साथ देना पड़ेगा आपको यह मानना पड़ेगा कि हां यह बात नीति संगत है या यह बात नहीं थी संगत नहीं है आपको दूरदृष्टि रखनी होगी आपको भविष्य के बारे में सोचना होगा।
आपकी दूरदर्शिता के कारण ही आप अपने आप को बचा सकते हैं अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
जब भी आप कहीं पर अन्याय होते हुए देखे तो उसे यह समझे कि हमारे साथ नहीं हो रहा है जो हो रहा है उसे होने दो आपको हर एक लड़ाई अपने व्यक्तित्व के लिए ही नहीं अपने समाज के लिए भी लड़नी होगी आपको यह मानना होगा कि अगर यह गलत हो रहा है तो क्यों हो रहा है आपको गलत को गलत कहना ही होगा और आपको सही का साथ हमेशा लेना होगा।
अन्याय को सहना सबसे बड़ा अन्याय है
दोस्तों आपने देखा होगा कुछ लोग दबे हुए रहते हैं और दूसरों के द्वारा किए गए अत्याचारों को अन्याय को साथ रहते हैं ऐसा करने से वह सोचते हैं कि अगर हम चुप रहेंगे तो शायद हमें इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं होता।
लोगों को आपको डराने की दबाने की आदत पड़ गई है और यह आदत अब तक नहीं छोड़ देगी जब तक आप उस अन्याय का सामना नहीं करेंगे।
आपको अन्याय सहना बंद करना होगा अन्याय के विरुद्ध आवाज उठानी शुरू करनी होगी अन्यथा आपकी आने वाली पीढ़ी आपको कभी भी माफ नहीं करेगी।